-विकास सिन्हा||
आज दामिनी शब्द का इतेमाल सिर्फ एक लड़की के लिए किया जा रहा है जबकि सच तो यही है कि हमारे देश में नारी जाती हमेशा ही दामिनी रही है. दामिनी का मतलब होता है ऐसी नारी जिसका दमन किया गया हो, जिस पर जोर-जुल्म और अत्याचार हुआ हो. हम आज जिस दामिनी की बात कर रहे है वो कोई पहली नारी नहीं है जिसके साथ अत्याचार हुआ हो. हां जो इस दामिनी के साथ हुआ उसे अत्याचार नहीं कहा जा सकता क्यों उसके साथ जो हुआ वो अत्याचार नहीं घोर अमानवीय था.
नारियो के साथ अत्याचार तो हमारे देश में सदियों से होता आया है. कुछ लोग मुझे गलत भी कह सकते है, उनका तर्क होगा कि सदियों से इस देश में नारियों की इज्जत की जाती है उन्हें पूजा जाता है, वो लोग दुर्गा, काली, झाँसी की रानी, रानी चेनम्मा इत्यादि का उदाहरण दे सकते है . ऊपर जो भी नाम दिए गए वो सिर्फ अपवाद है, अगर गौर से देखा जाये तो ये वो नाम है जिनके पास शक्ति थी, सत्ता थी. इस तरह से तो आज भी उन गिनी चुनी नारियों को इज्जत और सम्मान मिलता है जिनके पास ताकत है. चाहे स्व. इन्दिरा गाँधी, सोनिया गाँधी, मायावती, शीला दीक्षित कोई भी हो. साधारण नारी तो हमेशा से चुप चाप सब कुछ सहती रही है चाहे वो अहिल्या हो, सीता हो, द्रोपदी हो या कोई और. हमेशा से नारी का शोषण ही किया गया है. कभी झूठी आन, बान और शान के लिए उन्हें पत्थर बना दिया गया, कभी वनवास दिया गया तो कभी जुए में दाव पर लगा दिया गया. कभी उसे सती के नाम पर जला दिया गया तो कभी दहेज़ के नाम पर. सही मायने में इस देश में कभी नारियों की अपनी मर्जी से जीने का अधिकार ही नहीं मिला.
हमारे देश में जब एक बेटी जन्म लेती है तो मां बाप की मर्जी से चलती है, उसे बचपन से ही यह अहसास दिलाया जाता है कि तुम एक लड़की हो तुम्हे ऐसे चलना है, ऐसे रहना है घर पर रहा करो जमाना ख़राब है. बड़ी हो कर जब स्कूल कॉलेज जाने लगती है तो फिर उसे हिदायत दी जाती है कि सीधा घर जाया करो किसी से बोलो मत, ऐसे कपडे पहनो, लडको से दोस्ती नहीं करो. जब लड़की शादी के लायक होती है तो घर वालों के मर्जी से उसे उसे शादी करनी पड़ती है (अगर कुछ अपवादों को छोड़ दे), चाहे उसकी मर्जी हो या न हो. शादी के बाद तो पाबंदियां और बढ़ जाती है. अगर कहीं जाना हो तो पहले चार सवालों के जवाब दो :- कहाँ जाना है ?? क्यों जाना है ?? किससे मिलना है?? कौन है?? या फिर दुनिया बहुत ख़राब है घर पर ही रहो . अगर ज्यादा जिद् की तो – जाना है तो जाओ कुछ हो गया तो मुझे मत कहना कि पहले चेताया नहीं था. या फिर पति के छुट्टी मिलने का इंतज़ार करो . उसके बाद कुछ इस तरह जवाब मिलता है – सप्ताह में एक दिन तो छुट्टी मिली है उस दिन भी तुम्हे हमेशा कहीं न कही जाना ही होता है . घर की और बच्चों की सारी जिम्मेदारी औरतों के जिम्मे ही होता है, अगर बच्चे ने कुछ गलत किया तो उसके लिए भी माँ ही जिम्मेदार होती है, सारी गलती माँ की ही होती है. बुढ़ापे मे माँ अगर बेटे से कुछ कहे तो सुनने को मिलता है :- माँ आप तो कुछ समझती ही नहीं है, आप क्या जानो आप तो हमेशा घर में ही रही है जमाना बदल गया है . यूँ बात – बात पर टोका न करो . हम बड़े हो हो गए है अपना अच्छा बुरा सोच सकते है . आप घर संभालो . यानि एक भारतीय नारी का जीवन घर की चारदीवारी से शुरू हो कर घर की चार दिवारी के अन्दर ही समाप्त हो जाती है . हमारे देश में नारी सदा ही दामिनी रही है . यही सत्य है.
कम ज्ञान से अधिक खतरनाक होता है गलत ज्ञान।
बंधुवर, किस मूर्ख ने आपको यह बता दिया है कि 'दामिनी' का अर्थ होता है 'जिसका दमन होता है' !
अवश्य किसी कैंम्ब्रिज़ या हार्वर्ड से पढ़े हुए ने यह बताया होगा।
दामिनी शब्द का अर्थ होता है : Lightening यानि मेघाच्छन्न आकाश में चमकती बिजली !
दामिनी शब्द का प्रयोग देखिये :
दामिनी दमक रहन घन माहीं । खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं ।।
बूंद अघात सहहिं गिरि कैसें । खल के बचन सन्त सह जैसें ।।
अर्थ :- बादलों में बिजली चमकती है और लुप्त हो जाती है जैसे दुष्ट व्यक्ति की प्रीति, स्वार्थ की पूर्ति होने तक ही रहती है, स्थाई नहीं होती । दुष्टों के कटु वचन सुन कर सज्जन व्यक्ति क्रोध नहीं करते व शान्त बने रहते हैं जैसे ज़ोरदार वर्षा की बूंदों का आघात पहाड़ सहन कर लेते हैं । ( रामचरितमानस )
दामिनी की दमक अद्भुत होती है. तेज, शक्ति और ऊर्जा से भरी हुयी ! ऐसी शक्ति जो दुनिया को हिला दे !
धन्य है भारत देश, धन्य है सनातन धर्म संस्कृति जहाँ नारि को दामिनी कहा गया है !
जो इस देश की संस्कृति को नहीं समझते वे ही अधकचरा ज्ञान लेकर अंट -शंट बकते हैं और बदबूदार भाषा में पूरे समाज को संक्रमित करते हैं
Aurat jan diya Mardoko- mardone unka bajar kiya__ the words fro film PAYSA re being proved in recent pst events<> VASIEIK BHAVAN NARI KE PRATI badhi – DIKHI DE RAHI HAI<>.