सपा हो या भाजपा या फिर कांग्रेस, सभी मुजफ्फरनगर के सांप्रदायिक फ़साद को न केवल हवा ही दे रहे हैं बल्कि सोशल मीडिया के ज़रिये मज़हबी नफ़रत की आग को फ़ैलाने में लगे हैं. इसके चलते देश के गंभीर नागिरक अपनी जिम्मेदारियां समझते हुए फेसबुक पर आगे आ रहे हैं और इन सब राजनैतिक आकाओं और उनकी नीयत का राज़ फ़ाश कर रहे हैं…
-वीरेंद्र सिंह||
मुज़फ्फरनगर में जो हो रहा है उसमें गुजरात दंगे की झलक साफ दिखाई पड़ रही है. बहुत हद तक दोनों एक जैसे आयोजित और नियोजित कहे जा सकते हैं. लेकिन दोनों के बीच एक-दो ज़बरदस्त अंतर भी हैं. पहली बात तो यही कि गुजराती तकनीक की समझ और उसके इस्तेमाल का हुनर यहाँ किसी एक गुट तक सीमित नहीं है. दोनों गुट इस विद्या में दीक्षित हैं; दोनों के पास हुनर है. दोनों गुट अपने अपने फायदे के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर नफ़रत के नुस्खे आज़मा रहे हैं.
दूसरा बड़ा अंतर ये है कि जहाँ गुजरात में सिर्फ शासक दल की भागीदारी थी, वहीँ उत्तर प्रदेश में पक्ष-विपक्ष दोनों शामिल हैं. पक्ष सत्ता बचाने के लिए और विपक्ष सत्ता हथियाने के लिए. लेकिन अमन कायम रखना शासक दल की ज़िम्मेदारी है; इसके लिए विपक्ष को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. ज़िम्मेदारी तो मुलायम को ही लेनी पड़ेगी क्योंकि इन दंगों का प्रत्यक्ष लाभ सबसे ज्यादा मुलायम को ही है. और इसमें कोई शक भी नहीं कि मुज़फ्फरनगर का दंगा हुआ नहीं करवाया गया है.
मुलायम अपने पक्ष में मुसलमानों और यादवों की एकजुटता कायम करने के लिए उतने ही उतावले हैं, जितना भाजपा हिन्दू-मुस्लिम को अलग करके हिन्दुओं की एकलौती पार्टी बनने के लिए. यह तो उसी दिन साफ हो गया था जिस दिन अमित शाह को उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रभारी बनाया गया था कि कुछ न कुछ ज़रूर होगा. लेकिन मुलायम सिंह तनिक भी चिंतित नहीं हुए थे. उल्टे चोरी चोरी चुपके चुपके आग में घी डालने का काम करते रहे. उत्तर प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है कि यादव व मुसलमान एकमुश्त होकर जिस पार्टी को वोट देंगे वह पार्टी बाज़ी मार लेगी. ज़मीनी हकीकत के मद्देनज़र मुझे तो यही लगता है कि उत्तर प्रदेश के दंगे मियां मुलायम की करतूत हैं. राम जाने, अब मोदी-शाह-मुलायम-आज़म की यह राजनीतिक चौकड़ी आगे उत्तर प्रदेश में क्या गुल खिलाती है!
(वीरेंद्र सिंह की फेसबुक वाल से)
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आप
की दोनों बाते सही नहीं है कियो की दंग्गा कियो हुआ ये आप जानत है किसी हिन्दू
की लड़ की से बत्तमीजी की मुस्लमान ने की तो कियावह अपने परिवार की सुरक्छा नहीं करेगा
इएस मई शाह या मोदी कान्हा से आगये मुसल्म्नाओ ने जो किया घेर के उन बच्चो को किस हैवानियत से पठारों डाँडो चकुयो मर वो व् डी ओ आप ने देखा होंगा उस व् डी ओ को देखने के बाद मेरा भी मन हो आया थी की हत्तियर उथलनेअ चाहिए किस सीमा तक हैवानियत की जा सकती है वो लड़के जात समाज के थे समाज तो दोनों तरफ से मार जा रह था ये कैसे सहन किया जा सकता है इएसि लिए ये घट्न हो गयी उ प मई किय हर घट्न के पीछे आप निस पक्छ जा कर देखेंगे तो मुस्लमान ही पहल करता है आक्रिमक हो ता हैइएक बार भी कंही भी हिन्दू पहल कभी नहीं करता है इएसिलिये आप की यह बात ठीक नहीं है की मोदी तरीका या गुजरात जैसे पहल समूह गुट इएक्त्ते होना आकिर्मक होना ये सब मन गदान्नत बाते है आप को भी एसी बातो से बचन चाहिए