आसाराम समर्थक और उनके कुछ कर्मचारियों द्वारा भले आसाराम के खिलाफ हो रही कार्रवाई को साजिश कहें मगर आसाराम के आश्रम में अपनी सेवाएं दे चुके कुछ लोग आसाराम की काली करतूतों का राज फ़ाश कर रहे हैं.
2001 से 2005 के बीच आसाराम के बेटे नारायण साईं के निजी सचिव रहे महेंद्र चावला ने आसाराम पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. चावला ने कहा कि आश्रम में लंबे समय से गलत काम हो रहा है. उन्होंने एक न्यूज चैनल से बातचीत में राज़ फ़ाश करते हुए बताया है कि आसाराम लड़कियों के चयन के लिए भी कुछ खास तरीके अपनाता था. चावला ने कहा कि आसाराम टार्च की रोशनी से डिपर मारकर या फल फेंक कर लड़की को सेलेक्ट करते थे. रोशनी या फल 15 साल से 35 साल की उम्र के बीच की लड़कियों या महिलाओं पर ही फेंके जाते थे. इसके बाद आसाराम की टीम इस काम में जुट जाती थी कि कैसे उस लड़की को आसाराम तक पहुंचाया जा सके. चावला ने बताया है कि आसाराम तक कैसे लड़कियां पहुंचाई जाती थीं और इसके लिए आसाराम क्या तरीके अपनाता था.
महेंद्र चावला का कहना है कि आसाराम पर लगे सभी आरोप सच हैं और यह कोई नया मामला नहीं है. आश्रम में काफी लंबे समय से गलत काम हो रहे हैं. अभी तक पुलिस और सरकार आसाराम के दबाव में थी. यदि कोई आसाराम के खिलाफ आवाज उठाता था तो उसकी आवाज दबा दी जाती थी, आसाराम के समर्थक आवाज उठाने वाले व्यक्ति के घर के बाहर जमा हो जाते थे. ऐसे में कोई उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता है. उन्होंने दावा किया कि यदि आसाराम और उनके बेटे नारायण साई का नार्को टेस्ट करा लिया जाए तो सच सामने आ जाएगा. महेंद्र ने अपनी जान को भी खतरा बताया है. उन्होंने कहा कि इससे पहले एक बार नारायण साई उनकी पिटाई भी कर चुके हैं.
गौरतलब है कि नार्को टेस्ट के नाम से ही आसाराम के चेहरे से हवाइयाँ उड़ने लगती हैं. गिरफ्तारी के बाद जब आसाराम का एमआरआई टेस्ट हो रहा था तब आसाराम बहुत भयभीत हो गए थे और टेस्ट करने वालों से पूछ रहे थे कि कहीं उनका नार्को टेस्ट तो नहीं किया जा रहा? यही नहीं अपने रक्त की जाँच के समय भी आसाराम ने सैम्पल देते समय आनाकानी की थी.
वहीं, पिछले दिनों आसाराम की ओर से विभिन्न टीवी चैनलों पर सफाई देते समय उनके पुत्र नारायण साईं ने नार्को टेस्ट के सवाल को घुमा फिरा कर टालने में ही अपनी भलाई समझी, मगर उस दौरान उनके चेहरे पर भी घबराहट के भाव साफ़ साफ़ नज़र आ रहे थे.
यदि आसाराम और उनके पुत्र नारायण साईं को तो आगे बढ़कर नार्को टेस्ट करवा लेना चाहिए ताकि उन्हें अदालत से भी राहत मिल जाये और चारों दिशाओं में हो रही उनकी छीछालेदार भी बंद हो. मगर आसाराम नार्को टेस्ट कभी नहीं करवाएगें क्योंकि नार्को टेस्ट होते ही दूध का दूध और पानी का पानी जो हो जायेगा.
अभी जाँच का सफ़र बहुत बाकी हैं.लगता है आशाराम के पापों का घड़ा भर ही गया है,कोई चमत्कार ही उन्हें बचाएगा मसलन राजनितिक दखल,लक्ष्मी के आगे अफसरों का नतमस्तक होना,व पुरे केस को ही कमजोर बना देना,केंद्र व राज्य में सरकार परिवर्तन.अभी भी मुर्ख अंधे लोगों का आशाराम में अटूट विश्वास भी कुछ केस को कमजोर बना दे,अन्यथा तो अब जेल रूपी बैकुंठ में ही उन्हें बीती रातों की यादों को स्मरण करना होगा,और उनके लिए अभी यह ही प्रभु जाप है.पर शिखर पर बैठी सच्चाई को स्वीकार करना लोग जन बूझ कर पसंद नहीं करते.अब आशाराम भक्तों के लात मारना,भरे मंडप में उन्हें अपमानित करना,सरकार को कानून का उलंघन करने के बावजूद चुनोती भूल चुके होंगे.उनका अतीत इन कामों के लिए प्रायश्चित करने की संभावनाओं से तो मेल नहीं खाता,जो अपराध की दुनिया से धार्मिक क्षेत्र में भी अपराध ही करने को बाध्य करता है.वैसे भी उनके लिए सबसे मुनासिब स्थान उन्ही के पावन शब्दों में जेल बैकुंठ ही है.वे अपराध, गृहस्थ ,संत,ज्ञान, उपदेश, सेक्स आदि सभी योनिओं का रसस्वादन कर चुके हैं.अच्छा होगा कि उनका कोई सच्चा भक्त तैयार न हुआ हो नहीं तो कुछ सालों बाद ऐसी कथा फिर सुनने को मिल जाएगी.
अभी जाँच का सफ़र बहुत बाकी हैं.लगता है आशाराम के पापों का घड़ा भर ही गया है,कोई चमत्कार ही उन्हें बचाएगा मसलन राजनितिक दखल,लक्ष्मी के आगे अफसरों का नतमस्तक होना,व पुरे केस को ही कमजोर बना देना,केंद्र व राज्य में सरकार परिवर्तन.अभी भी मुर्ख अंधे लोगों का आशाराम में अटूट विश्वास भी कुछ केस को कमजोर बना दे,अन्यथा तो अब जेल रूपी बैकुंठ में ही उन्हें बीती रातों की यादों को स्मरण करना होगा,और उनके लिए अभी यह ही प्रभु जाप है.पर शिखर पर बैठी सच्चाई को स्वीकार करना लोग जन बूझ कर पसंद नहीं करते.अब आशाराम भक्तों के लात मारना,भरे मंडप में उन्हें अपमानित करना,सरकार को कानून का उलंघन करने के बावजूद चुनोती भूल चुके होंगे.उनका अतीत इन कामों के लिए प्रायश्चित करने की संभावनाओं से तो मेल नहीं खाता,जो अपराध की दुनिया से धार्मिक क्षेत्र में भी अपराध ही करने को बाध्य करता है.वैसे भी उनके लिए सबसे मुनासिब स्थान उन्ही के पावन शब्दों में जेल बैकुंठ ही है.वे अपराध, गृहस्थ ,संत,ज्ञान, उपदेश, सेक्स आदि सभी योनिओं का रसस्वादन कर चुके हैं.अच्छा होगा कि उनका कोई सच्चा भक्त तैयार न हुआ हो नहीं तो कुछ सालों बाद ऐसी कथा फिर सुनने को मिल जाएगी.