गुवाहाटी हाईकोर्ट ने एक चौंकाने वाले फैसले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को गैरकानूनी ठहरा दिया है. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में उस प्रस्ताव को रद्द कर दिया, जिसके तहत सीबीआई का गठन किया गया था. हाईकोर्ट ने जांच एजेंसी की सभी कार्रवाइयों को भी असंवैधानिक करार दिया है. केंद्र सरकार जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देगी.
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई का गठन निश्चित जरूरत को पूरा करने के लिए ‘कुछ समय’ के लिए ही किया गया था और गृह मंत्रालय का वह प्रस्ताव न केंद्रीय कैबिनेट का फैसला था और न ही उसके साथ राष्ट्रपति की स्वीकृति का कोई कार्यकारी आदेश है. कोर्ट ने कहा है कि अपराध की जांच करने वाली ऐसी एजेंसी, जिसके पास पुलिस बल की शक्तियां हों, उसकी स्थापना केवल एक कार्यकारी निर्देश के जरिये नहीं की जा सकती.
कोर्ट ने कहा कि मामला दर्ज करने, आरोपियों को गिरफ्तार करने, तलाशी लेने जैसी सीबीआई की कार्रवाई संविधान की धारा-21 का उल्लंघन है. हाईकोर्ट ने कहा कि हम 1 अप्रैल, 1963 के उस प्रस्ताव को खारिज करते हैं, जिसके तहत सीबीआई की स्थापना की गई. सीबीआई, दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट एक्ट यानी डीएसपीई का अंग नहीं है. कोर्ट ने कहा कि डीएसपीई कानून 1946 के तहत गठित एक पुलिस बल के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में इस प्रस्ताव को सिर्फ विभागीय निर्देश ही माना जा सकता है और उसे कानून के रूप में नहीं बदला जा सकता है.
किस बाबत आया यह फैसला
असम में बीएसएनएल के कमर्चारी नवेंद्र कुमार के खिलाफ 2001 में सीबीआई ने आपराधिक षडयंत्र रचने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था, जिसके बाद नवेंद्र ने संविधान के तहत सीबीआई के गठन को चुनौती देते हुए अपने खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज करने की मांग की. हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने उसकी याचिका खारिज कर दी.
नवेंद्र ने इसके बाद हाईकोर्ट की डबल जज बेंच में याचिका दायर की, जिसके बाद जस्टिस इकबाल अहमद तथा जस्टिस इंदिरा शाह ने यह फैसला सुनाते हुए सीबीआई के गठन को असंवैधानिक करार दिया. हाईकोर्ट ने नवेंद्र के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर की गई चार्जशीट तथा मामले की सुनवाई को खारिज कर दिया.
cibia ie koa glat kam nhia krna chahiya nhia toa janta ka biswas uthha jayga jya hiand jya bharat
सरकार की अपील पर एक बार तो सुप्रीम कोर्ट एक बार इस निर्णय पर रोक लगा देगा , और फिर कानूनी दांव पेंच तथा बहस बाजी व तारीखों में यह ऐसा फंसेगा कि नवेन्द्र कुमार के जीवन में इसका फैसला नहीं होगा.सरकार अपने तोते को ऐसे ही थोड़े न उड़ा देगी. यह तो सरकार का मेगा हथियार है.
सरकार की अपील पर एक बार तो सुप्रीम कोर्ट एक बार इस निर्णय पर रोक लगा देगा , और फिर कानूनी दांव पेंच तथा बहस बाजी व तारीखों में यह ऐसा फंसेगा कि नवेन्द्र कुमार के जीवन में इसका फैसला नहीं होगा.सरकार अपने तोते को ऐसे ही थोड़े न उड़ा देगी. यह तो सरकार का मेगा हथियार है.