अच्छी शिक्षा की तलाश में अपने घर से मीलों दूर जाकर पढ़ने की सजा मिली बिहार की एक छात्रा को। सजा भी ऐसी-वैसी नहीं- मौत की। उसके पिता ने जयपुर, राजस्थान के एक महंगे इंजीनियरिंग कॉलेज में उसका दाखिला करवाया, लेकिन वहां उसकी सीनियर छात्राओं ने रैगिंग के नाम पर उसकी जान ही ले ली।
बार-बार रैगिंग से परेशान होकर इंजीनियरिंग छात्रा सौम्या मंगलवार को हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिरी थी जिसकी गुरुवार शाम मौत हो गई। उसके पिता मिथिलेश सिंह ने शुक्रवार को बगरू थाने में दो सीनियर छात्राओं के खिलाफ रैगिंग लेने तथा कॉलेज प्रबंधन पर सूचना देने के बाद भी कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। सौम्या ने अजमेर रोड पर भांकरोटा स्थित राजस्थान इंजीनियरिंग कॉलेज फॉर वीमेन में इसी साल प्रवेश लिया था।
ओएनजीसी विशाखापट्टनम में कार्यरत मिथलेश कुमार सिंह ने पुलिस को बताया कि छत से गिरने के दो दिन पहले बेटी ने फोन पर रैगिंग से परेशान होने की बात कही थी। इसकी जानकारी कॉलेज प्रशासन को तुरंत दे दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
उधर सीनियर छात्राओं ने सौम्या की यह कहकर फिर रैगिंग ली कि उसने परिजनों को शिकायत क्यों की। मंगलवार सुबह सौम्या बाल सुखाने हॉस्टल की चौथी मंजिल की छत पर गई थी। इसी दौरान कुछ छात्राएं छत पर आ गई और उसे जबरदस्ती छत की मुंडेर पर चलने को कहा।
मुंडेर पर चलते हुए वह डरकर नीचे गिर गई। पिता का आरोप है कि सौम्या को हाइट फोबिया (ऊंचाई से देखने पर डरना) था, फिर भी उससे बार-बार ऐसा करवाया गया। पटना निवासी सौम्या सिंह व उसकी बहन तूलिका ने 27 अगस्त को बी-टेक प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया था। दोनों हॉस्टल के एक ही कमरे में रहती थी। पुलिस ने शुक्रवार को मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया।
उधर मीडियादरबार ने प्रिंसिपल सीमा सिंह से बात की तो उन्होंने इस बात से इंकार किया कि कॉलेज में रैगिंग हुई है। उन्होंने यह तो जोर दे कर कहा कि सौम्या की रैगिंग नही हुई है, लेकिन यह नहीं बता सकीं कि आखिर क्या वजह थी, जिसके कारण सौम्या को छत की मुंडेर पर जाना पड़ा। उन्होंने कॉलेज की सीनीयर लड़कियों का भी बचाव किया और कहा कि उस वक्त सौम्या के साथ कोई भी मौजूद नहीं था।
पुलिस मामले की जांच कर रही है, लेकिन सौम्या के परिजनों का मानना है कि वह भी कॉलेज प्रशासन के दबाव में है और अभी तक किसी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है।
माननीय सीमा सिंह जी कया ऐसा हुआ है ?
अगर ऐसा हुआ है तो आप के कॉलेज को ऐसा नहीं करना चाहिए ??
कोई भी छात्र….अच्छी शिक्षा की तलाश में अपने घर से मीलों दूर जाकर पढ़ने की कोशिश करता है वह पढलिख कर अपने परिवार का सहारा बनेगा लेकिन बार-बार रैगिंग से परेशान होकर मौत को गले लगा लेता है …..
यह सरासर गलत है , .इस तरह के मामलो में शिक्षक और शिक्षन संसथान दोनों की बदनामी होती है !
अखिल भारतीय छात्र कल्याण परिषद् इसका जोरदार विरोध करती है … और प्रशाशन से अनुरोध करती है की मामले की जाँच करके उचित कार्यवाही कर हमें भी सूची करे ……
धन्यवाद सहित
नरेश कुमार शर्मा
अखिल भारतीय छात्र कल्याण परिषद्