
कदम्ब डूंगरी, जयपुर में लक्खी पौषबड़ा प्रसादी बनना शनिवार प्रातः से प्रारम्भ!
सवा सौ हलवाई 30 भट्टियों पर प्रसादी बनाने में जुटेंगे!! पांच सौ मन की गट्टे की सब्जी बनेगी!!! सवा लाख श्रृद्धालू 3 बीघा क्षेत्र में पंगत प्रसादी ग्रहण करेंगे!!!
प्रसिद्ध धार्मिक स्थल सिद्धपीठ पावन मंगल सेवा संस्थान कदम्ब डूंगरी में 8 जनवरी रविवार को आयोजित राज्य के सबसे बड़े लक्खी पौष बड़ा में ढ़ाई हजार मन पौष बड़ा प्रसादी बनेगी, जिसमें 500 मन की मिश्रित सब्जी बनेगी, जिसे ’’ गट्टे की सब्जी’’ के नाम से पुकारा जाता है। 

कदम्ब डूंगरी पावन मंगल सेवा संस्थान के शारदा पीठाधीश्वर सीताराम दास जी महाराज के सानिध्य में आयोजित इस 34वें लक्खी पौष बड़ा में शनिवार प्रातः से पौष बड़ा प्रसादी बनना प्रारम्भ हो जायेगी। इस लक्खी पौष बड़ा प्रसादी को बनाने में सवा सौ से अधिक हलवाई 30 भट्टियों पर जुटेंगे तथा कदम्ब डूंगरी के आस-पास के 4 दर्जन से अधिक गांवों में चूल्हा उपाड़ा न्यौता दिया जा रहा है। पौष बड़ा प्रसादी में देशी घी का सूजी का हलवा, दाल के बड़े, गड़्डे की सब्जी व पुड़ी परोसी जायेगी।
पौष बड़ा महोत्सव के प्रचार संयोजक आर. के. चौधरी ने बताया कि कदम्ब डूंगरी भोजन शाला में 2 दर्जन से अधिक ट्रकों में पौष बड़ा प्रसादी की सामग्री पहुंचना प्रारम्भ हो चुकी है। इस पौष बड़ा प्रसादी में 250 मन दाल, 240 मन सूजी, 200 मन चीनी, 80 मन देशी घी, 180 मन तेल, 600 मन आटा, 40 बोरी मसालें, 4 मन लाल मिर्च, 4 मन हरी मिर्च, 3 मन नमक, 2 मन काली मिर्च व गर्म मसाले शामिल है। सवा लाख श्रद्धालुओं को पंगत प्रसादी ग्रहण करने के लिए एक ट्रक दोना पतल मंगवाई गई है।
पौष बड़े में गड्डे की सब्जी (मिश्रित) में एक दर्जन सब्जियों का उपयोग किया जाता है। कदम्ब डूंगरी के शारदा पीठाधीश्वर सीताराम दास जी महाराज ने बताया कि इस गड्डे की सब्जी को इस मौसम में स्वास्थ्य वर्धक व धार्मिक महत्व का माना गया है व इसका मंदिरों में देवताओं को भोग लगाया जाता है तथा इसका प्राचीन ग्रन्थों में उल्लेख है। उन्होंने बताया कि एक दर्जन से अधिक सब्जियों में मुख्य रूप से आलू, पत्ता गोभी, गाजर, लोकी, टमाटर, मूली, मटर, हरी मीर्च, अमरक, अदरक, पालक, मैथी, धनियां आदि का उपयोग किया जाता है। इस सब्जी में विभिन्न तरह के गर्म मसाले भी डाले जायेंगे। जयपुर के पारम्परिक लोगों में आज भी गट्टे की सब्जी खासी प्रचलित है तथा इसे हर वर्ग द्वारा चाव से खाया जाता है।
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- Published: 7 years ago on January 4, 2012
- By: admin
- Last Modified: January 4, 2012 @ 4:35 pm
- Filed Under: राज्य
- Tagged With: पौषबड़ा, मस
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