-नरेंद्र दीक्षित-
नैमिषारण्य, (सीतापुर)।। शिवलिंग को अपने घर में न रखने और मंदिर में छोड़ आने की सलाह देने वाले निर्मल बाबा से लोगों का मोहभंग होने लगा है। अब लोग मंदिरों में छोड़े गए शिवलिंग वापस घर ले जाने लगे हैं।
सीतापुर के नैमिषारण्य के प्रसिद्ध चक्र कुंड में लोगों ने सैकड़ों शिवलिंग छोड़ दिए थे। स्नान करने वाले लोगों के पांवों में शिवलिंग न लगे इस कारण पुजारी उन्हें बाहर निकाल कर रख देते थे और कुछ दिनों पहले तक 150-200 शिवलिंग इकट्ठा हो गए थे। ललिता देवी मंदिर के पुजारी श्री हरि प्रसाद जी का कहना है कि शिवलिंग घर से बाहर रखने के कारण उन्हें फायदा होने की बजाय नुकसान ही हुआ है। उनकी गाड़ी का कुछ ही दिनों पहले ऐक्सीडेंट हो गया था।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि कुंडों, तालाबों और घाट आदि समेत पूजास्थलों पर लाकर रखे गए शिवलिंग व देवी देवताओं की मूर्तियों को पिछले कुछ दिनों में भक्त वापस घर ले गए हैं।
टीवी के अनेक चैनलों के जरिए निर्मल बाबा अपने भक्तों को सुख सम़द्धि लाने के लिए जो तरीके बताते थे उनमें से एक यह भी था कि शिवलिंग को घर में न रखा जाए। इसके चलते बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घरों से शिवलिंगों व देवी देवताओं की मूर्तियों को मंदिरों में रख दिया था। इनकी बढ़ती तादाद से मंदिर के पुजारी और प्रबंधक भी हैरान-परेशान थे।
लेकिन भला हो इंटरनेट और टीवी चैनलों का जिनकी वजह से पिछले कुछ दिनों से लोग अपनी मूर्तियों को खोजते हुए मंदिर पहुंच रहे हैं। कुछ को तो मूर्तियों वापस मिल गईं,लेकिन कुछ खाली हाथ लौट रहे हैं। करीब महीने भर पहले अपने घर का शिवलिंग कुंड में छोड़ने वाले सीतापुर के राजेश त्रिपाठी का कहना है कि उन्होंने निर्मल बाबा की बातों में आकर ऐसा कर दिया था, लेकिन अब कुछ बेचैनी लग रही है। एक बुजुर्ग महिला भी अपने घर में बरसों से रखा शिवलिंग दोबारा वापस लेने आई थीं जिसे उन्होंने पंद्रह दिनों पहले यहां छोड़ दिया था।
उधर शीतला माता मंदिर के पुजारी प्रदीप दीक्षित ने बताया कि निर्मल बाबा के कहने से शिवलिंग छोड़ने आने वालों को वेद व पुराण के हवाले से शिवलिंग का महत्व समझाया जा रहा है और उन्हें ऐसा करने से रोका जा रहा है। एक अन्य मंदिर के पुजारी शिवशंकर शुक्ला ने बताया कि जो मूर्तियां बच जाएंगी उन्हें भक्तों को दे दिया जाएगा या शुभ मुहूर्त देखकर विसर्जित कर दिया जाएगा। अभी भी इच्छुक भक्तों को मूर्तियां व शिवलिंग सौंपे जा रहे हैं, ताकि उनके हाथों देवी-देवताओं की पूजा हो सके।
बाबा का बज गया बाजा.. हर चैनल पर सबको उल्लू बनाता फिरता था.. अब भी इसका प्रोग्राम देख रहे हैं लोग, लेकिन श्रद्धा से नहीं, कॉमेडी शो मान कर.. थैंक यू मीडिया दरबार
इन लोगों का क्या हैं,अभी अक्ल आ गई हैं लेकिन कुछ दिनों बाद फिर कोई नया बाबा खोज लेंगे या कोई बाबा इन्हें खोज लेगा.जब तक इन जैसे मुर्ख लोग हैं तब तक निर्मल बाबा जैसे पाखण्डी मजे मारते रहेंगे.चैनलों पर बार बार ये सवाल उठाया जा रहा हैं कि इसे आस्था कहेँ या अंधविश्वास लेकिन मुझे तो लगता हैं कि न ये आस्था हैं और न अंधविश्वास बल्कि ये निरी मुर्खता हैं.
मीडिया दरबार की मुहिम स्वागत योग्य हैं.आप लोग बधाई के पात्र हैं.