राहुल गांधी के दखल के बाद अन्ना की तिहाड़ जेल से रिहाई तो हो गयी मगर अन्ना हजारे ने तिहाड़ जेल को ही अपना अनशन स्थल बना डाला और जेल महानिदेशक के दफ्तर में जम गए. जिसके चलते तिहाड़ जेल प्रशासन ही नहीं भारत सरकार के भी होश उड़े हुए हैं. अन्ना हजारे की इस रणनीति के चलते न केवल जेल प्रशासन, दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार भी उलझन में पड़ चुकी है.
उधर तिहाड़ जेल के चारों दरवाजों पर अन्ना समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा है और तिहाड़ जेल प्रशासन के लिए सिरदर्द बन चुका है. इस अन्ना समर्थक भीड़ से निबटना न तो दिल्ली पुलिस के बस का है और न जेल प्रशासन के. रामदेव प्रकरण में अपनी भद पिटवा चुकी भारत सरकार के मुंह में जैसे छछूंदर फंस गयी है. क्या करे और क्या न करे. कांग्रेस को अपनी नैय्या डूबता दिखाई पड़ रही है. विपक्षी दल ही नहीं, केंद्र सरकार के घटक दल भी कांग्रेस को कोसने में लगे हैं. कपिल सिब्बल जैसे नेता को भी जैसे सांप सूंघ गया है तो दिग्गी राजा ने पाकिस्तान से लौटते ही दुबारा अपने बडबोलेपन का आसरा लेते हुए बयान ठोक दिया कि १२१ करोड़ कि जनता में से १५-२० हज़ार लोगों के सडकों पर उतर आने से कोई फर्क नहीं पड़ता. दिग्गी राजा ये बयान देते हुए मनीष तिवारी की किरकिरी को नज़र अंदाज़ कर गए लेकिन सरकार के अंदरखाने दिग्गी राजा के इस बयान को लेकर खासी नाराजगी है. कुछ कांग्रेसी नेता तो गुप चुप में दिग्गी राजा को मुर्खाधीश ठहराने में भी नहीं चूक रहे.
जैसे जैसे इस मामले में समय गुजर रहा है, वैसे वैसे केंद्र सरकार दुनियां की नज़रों में हास्य का पात्र बन रही है और कांग्रेस के इन नेताओं की योग्यता पर सवालिया निशान खड़ें हो रहें हैं.
सांप के मुंह में छछूंदर: दिग्गी राजा की जुबान फिर फिसली
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- Published: 8 years ago on August 17, 2011
- By: admin
- Last Modified: August 17, 2011 @ 2:54 pm
- Filed Under: देश
- Tagged With: अन्ना, अन्ना समर्थक, पुलिस
दिग्विजय सिंह जैसा नमूना ढूँढने से भी नहीं मिलेगा,ये आदमी हर बार बोलता पहले है सोचता बाद में है |
इस आदमी को इसकी ओकात का पता ही नहीं है कोंग्रेस को इसको पार्टी से निकाल देना चाहिए तब इसे अपने बडबोलेपन की सजा मिलेगी