लगता है कि आम भारतीय की कमर तोड़ने से यूपीए सरकार का मन अभी भरा नहीं है और गत दिनों हुए विधानसभा चुनावों से भी उसे कोई सबक नहीं मिला. नए साल पर इंसान किसी तोहफे की उम्मीद करता है, लेकिन यदि उस पर ऐसा भार लाद दिया जाए, जो उसकी कमर तोड़ दे तो कष्ट जरूर होगा. आम आदमी पर बिना सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर पर 220 रुपये की भारी बढ़ोत्तरी का भार लादा गया है. मतलब अगर आप दिल्ली में रहते हैं तो अब साल का दसवां सिलेंडर आपको 1241 रुपये में पड़ेगा.
सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा ईंधन कंपनियों ने कहा कि 14.2 किलो के रसोई गैस सिलेंडर की कीमत अब दिल्ली में 1,241 रुपये होगी, जो पहले 1,021 रुपये थी. उपभोक्ता साल में सब्सिडी वाले नौ सिलेंडर ले सकते हैं. इसके अलावा उन्हें बाजार दर पर सिलेंडर लेना पड़ता है.
दिल्ली में नई कीमत – 1241 रुपये/प्रति सिलेंडर
कोलकाता में – 1270 रुपये/प्रति सिलेंडर
मुंबई में – 1264.50 रुपये/प्रति सिलेंडर
चंडीगढ़ में – 1270 रुपये
लखनऊ में – 1293 रुपये
श्रीनगर में – 1337 रुपये
जयपुर – 1222.50 रुपये
चेन्नई में – 1234 रुपये
रांची – 1346 रुपये
रायपुर – 1297.5 रुपये
शिमला – 1344.5 रुपये
हैदराबाद – 1327.50 रुपये
बैंगलोर – 1267 रुपये
पुणे में – 1279 रुपये
भोपाल – 1338 रुपये
अहमदाबाद – 1230.50 रुपये
देहरादून – 1309.50 रुपये
एक महीने में तीन बार बढ़े रेट
पिछले एक महीने में यह तीसरा मौका है, जब गैर-सब्सिडी वाले सिलेंडरों के दाम बढ़ाये गये हैं. एक दिसंबर को ऐसे सिलेंडर का दाम 63 रुपये तथा 11 दिसंबर को 3.50 रुपये बढ़ाया गया था. जब सरकार ने एलपीजी डीलर एवं वितरकों के कमीशन बढ़ाये थे तब दाम में 3.50 रुपये बढ़ाये गये थे.
सरकार ने सितंबर 2012 में सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की सीमा सालाना 6 तय की थी. बाद में जनवरी 2013 में इसे बढ़ाकर नौ कर दिया गया. इस सीमा से अधिक सिलेंडर के लिये उपभोक्ता को बाजार दर पर एलपीजी सिलेंडर खरीदना पड़ता है.
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां औसत आयातित लागत तथा डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर के आधार पर गैर-सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों के दाम हर महीने की एक तारीख को संशोधित करती हैं.
सब्सिडी युक्त 14.2 किलो का एलपीजी सिलेंडर की लागत दिल्ली में 414 रुपये है. अधिकारियों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को सब्सिडी युक्त सिलेंडर पर फिलहाल 762.70 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है. जाड़े में ईंधन की मांग बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एलपीजी के दाम चढ़े हैं.
जब आने वाले चुनावों का परिणाम दिख ही रहा है तो अब कीमत बढ़ने से क्या डरना.जहाँ सत्यानाश हो गया हो तो सवा सत्यानाश की क्या परवाह.आने वाली सरकार के लिए तो कुछ करके जाएँ.
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