दुनिया को जल्द ही एचआईवी #AIDS के इलाज के लिए पहला टीका मिल सकता है। दरअसल, विश्व एड्स दिवस पर साइंस जर्नल में एक शोध प्रकाशित हुआ है। इसमें किसी वैक्सीन के पहले क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे बताए जाते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक एचआईवी #HIV के खिलाफ यह #वैक्सीन 97 फीसदी कारगर है।
एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम #एड्स मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआईवी) के कारण होता है। माना जाता है कि यह वायरस 20वीं शताब्दी में चिंपैंजी से मनुष्यों में स्थानांतरित हुआ था। यह एक यौन संचारित रोग है और रोगी के वीर्य, योनि द्रव और रक्त के संपर्क में आने से फैल सकता है। वर्तमान में इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है।
इस #वैक्सीन का नाम eOD-GT8 60mer है। शोध में 48 स्वस्थ लोगों पर इसका परीक्षण किया गया, जिनकी उम्र 18 से 50 साल के बीच थी। 20 माइक्रोग्राम की पहली खुराक 18 लोगों को दी गई। आठ हफ्ते बाद, उन्हें दूसरी बार वही खुराक दी गई।
इसके अलावा 18 लोगों को 8 #सप्ताह के अंतराल पर 100 #माइक्रोग्राम की दो खुराक भी दी गई। शेष 12 लोगों को सेलाइन प्लेसिबो दिया गया। एक प्लेसबो एक दवा नहीं है। #डॉक्टर इसका इस्तेमाल यह पता लगाने के लिए करते हैं कि कोई दवा किसी व्यक्ति को #मानसिक रूप से कैसे और कितना प्रभावित करती है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन 36 लोगों को वैक्सीन दी गई, उनमें से 35 ने वैक्सीन की पहली खुराक देते ही असर दिखाया। उनमें बी सेल्स बढ़ गए। ये एक प्रकार की श्वेत रक्त #कोशिकाएं हैं जो #प्रतिरक्षा प्रणाली में रोगों के खिलाफ #एंटीबॉडी बनाती हैं। वैक्सीन के दूसरे #डोज के बाद इन लोगों की रोग #प्रतिरोधक क्षमता और बढ़ गई है। #एचआईवी/एड्स रोगियों पर टीका कैसे काम करेगा, इस पर शोध लंबित है।
बता दें कि इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनिशिएटिव के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में इस वक्त 3 करोड़ 80 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं। साथ रह रहे हैं इस खतरनाक वायरस के खिलाफ 20 से ज्यादा टीकों का #क्लीनिकल #ट्रायल चल रहा है। इसके साथ ही दुनिया में अब तक इससे 4 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले साल 15 लाख लोगों को एड्स हुआ, जबकि 6 लाख 50 हजार मरीजों की जान चली गई।