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-असगर वज़ाहत।।

पढ़ने में आ रहा कि इंडोनेशिया में कार्ल मार्क्स के मार्क्सवाद को अपराध घोषित कर दिया गया है।
कैसा आदमी था कार्ल मार्क्स जिसे जीते जी तो चैन मिला नहीं, मरने के 100 साल के बाद भी चैन नहीं मिल रहा।
यह भी सुनने में आ रहा है कि अन्य देश भी मार्क्सवाद को अपराध घोषित करने जा रहे हैं।
एक देश की सरकार तो विचार कर रही है कि कार्ल मार्क्स की सभी रचनाओं को इस प्रकार जलाया जाए कि वे जहां-जहां हैं सब जगह जल जाएं।
कुछ लोग यह भी मांग कर रहे हैं की कार्ल मार्क्स जैसी दाढ़ी रखने पर भी कोई कानूनी धारा लगनी चाहिए।

कोई 14 -15 साल पहले मैं और हिंदी के वरिष्ठ और सम्मानित लेखक सूरज प्रकाश लंदन में कार्ल मार्क्स की क़ब्र खोजते हुए हाईगेट सेमेट्री पहुंचे थे।
जहां तक याद पड़ता है उस कब्रिस्तान के अंदर जाने के लिए टिकट खरीदना पड़ा था, जहां कार्ल मार्क्स दफ़न हैं।
मतलब यह कि दुनिया उस आदमी की कब्र के ऊपर भी व्यापार कर रही है जो पूंजीवाद का विरोधी था।
कब्रिस्तान में उनकी क़ब्र बायीं तरफ है। मरने के बाद भी कार्ल मार्क्स “लेफ्ट” हैं।
बहरहाल हम लोग क़ब्र पर पहुंचे थे ।
मैंने हाथ जोड़कर उनसे पूछा था, महाराज यह सारी दुनिया आपका विरोध क्यों करती है । हद यह है कि आप के समर्थक भी आपका ‘विरोध’ करते हैं ।
उन्होंने कहा था- बच्चा हमने ऐसी बात कह दी थी जो संसार में हजारों साल से चली आ रही परिपाटी के विरुद्ध थी।
मैंने पूछा – कौन सी बात है?
उन्होंने कहा था- मैंने शोषण का विरोध किया था। उसे समाप्त करने का तरीका बताया था। यही कारण है कि दुनिया आज तक मेरे पीछे पड़ी हुई है। और उस समय तक पीछे पड़ी रहेगी जब तक संसार में शोषण होता रहेगा।

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