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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?


-सुसंस्कृति परिहार।।

भारत के राजनैतिक इतिहास की सबसे दुर्दांत और कुटिल राजनीति की पराकाष्ठा है जिसने देश के एक प्रभावी लोकप्रिय राजनैतिक परिवार के युवक की छवि धूमिल करने के लिए करोड़ों-अरबों रुपए बर्बाद किए। इसके लिए बराबर एक सुनियोजित अभियान देश भर में चलाया गया। पप्पू शब्द ऐसा चर्चित हुआ कि बहुतेरे कांग्रेसी भी उस युवक को पप्पू ही कहने लगे और कांग्रेस से नाता तोड़ने में लग गए। उन्होंने इसे अकाट्य सत्य माना। चोला बदलने वालों ने हरगिज़ यह नहीं सोचा होगा कि ये इमेज क्रियेट की गई है और एक दिन सब कुछ बदल जाने की स्थिति में आ जायेगा।

कहा जाता है चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग। अनेकों भुजंगों के बीच राहुल निरंतर अपने को घृणित राजनीति के बीच परिपक्व करते रहे वे आज़ादी के बाद के ऐसे कांग्रेस के नेता हैं जिन्होंने संघर्ष के साथ स्वत: अपनी छवि निर्मित की है। उन्होंने बराबर संसद में मोदी जी को गले लगाकर शिकवा शिकायत दूर करने का भी एक प्रयास किया था वह दृश्य आज भी आंखों के सामने आ जाता है जब वे प्रधानमंत्री जी के सामने खड़े होकर गले मिलने का अनुरोध करते दिखाई दिए किंतु प्रधानमंत्री टस से मस नहीं हुए बाद में उन्होंने जो कहा वह उनके आचरण पर सवाल उठाता है। राहुल के खड़े होने के आग्रह को पी एम साहिब ने यह कहकर नज़र अंदाज़ कर दिया कि राहुल मुझे उठाकर खुद पी एम की कुर्सी पर बैठना चाहते थे। ऐसे लोगों के लिए ही कहा गया है जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।

बकौल कृष्णकांत जो यह अभियान राहुुुुल को पप्पू बनाने का चला उसमें कम से कम तीन कॉरपोरेट घरानों और सुप्रीम कोर्ट में उनकी नुमाइंदगी करने वाले एक वकील एवं पूर्व मंत्री के साथ मिलकर यह अभियान चलाया, जिसमें दो मीडिया घराने, कुछ पालतू संपादक और पत्रकार शामिल थे। इस अभियान के तहत राहुल गांधी के खिलाफ सालों तक लगातार खबरें प्लांट की गईं ताकि देश की जनता उन्हें गंभीरता से न ले। मीडिया में राहुल गांधी के खिलाफ क्या छपना है यह वो वकील नेता तय करता था।

पत्रकार रोहिणी सिंह और अभिसार शर्मा ने मिलकर यह खुलासा किया है। उनके मुताबिक, हुआ ये कि कॉरपोरेट समूह वेदांता नियामगिरि, ओडिशा में खनन करना चाहता था। आदिवासियों ने इसका विरोध किया। संघर्ष बढ़ा तो बात दिल्ली तक पहुंची। राहुल गांधी ने कहा कि आदिवासियों की आवाज सुनी जाएगी। सरकार खनन की इजाजत नहीं देगी। राहुल गांधी के इस स्टैंड से वेदांता ग्रुप तो कांग्रेस के खिलाफ गया ही, बाकी कॉरपोरेट घरानों में भी घबराहट बढ़ने लगी। संदेश ये गया कि राहुल गांधी सत्ता में आए तो जनता के साथ खड़े होकर कॉरपोरेट का विरोध करेंगे। इसी बीच अंबानी समूह में मोदी और शाह के एक करीबी को टॉप पोजिशन पर बैठाया गया। इसे लेकर कांग्रेस और अंबानी में दूरी पैदा हुई।

उस समय तक राहुल गांधी मीडिया में छाए रहते थे हालांकि, बहुत कोशिश के बावजूद वे किसी कॉरपोरेट से नहीं मिलते थे। कॉरपोरेट जगत के लोगों को लगा कि अगर राहुल गांधी मजबूत हुए तो उनके लिए हो सकता है अच्छा परिणाम न हो ।

नतीजतन कुछ मजबूत औद्योगिक समूहों ने राहुल गांधी को बदनाम करने का अभियान ज्वाइन किया। दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से कुछ एक कांग्रेसियों ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई। अगर आप व्हाट्स एप विश्वविद्यालय के जरिए राहुल गांधी को जानते हैं तो आपको यह कहानी रास नहीं आएगी, लेकिन अगर आप राहुल गांधी को गंभीरता से सुनते हैं, कोरोना, नोटबंदी, अर्थव्यवस्था आदि पर उनकी सच होती भविष्यवाणियों को जानते हैं, मीडिया पर उस वकील नेता के प्रभाव के बारे में परिचित हैं, राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे चरित्र हनन अभियान का अंदाजा है तो आपको यह कहानी हैरान नहीं करेगी। जानने वाले जानते हैं कि राहुल गांधी नेता जैसे भी हों, लेकिन उनकी छवि खराब करने के लिए इस देश में राष्ट्रीय अभियान चलाया गया। जहरीली आईटी सेल उसी मिथ्या अभियान के तहत वजूद में आई थी जिसने भारतीय राजनीति को रसातल पहुंचाया है।

आज भारत जोड़ो यात्रा अभियान ने पप्पू प्लांट करने वाले अभियान को अर्श से फर्श पर ला दिया है। उनका जादू सिर पर चढ़कर बोल रहा है। नफ़रत का माहौल बनाने वाले सिर घुन रहे हैं। देश में एकरसता को जीवंत किया जा रहा है। दहशतज़दा लोग अब खुलकर उनके समर्थन में बड़ी तादाद में आ रहे हैं। कांग्रेस से भीतरघात किए लोगों में छटपटाहट है कोई आश्चर्य नहीं कि माहौल बदलता देख वे राहुल की इस अकूत ताकत के सामने सज़दा कर दें।

इस यात्रा को शुरुआत से लेकर अब तक कई सरकारी शैतानियों से भी गुजरना पड़ रहा है। दिल्ली प्रवेश रोकने कोरोना का बहाना भी हाथ से निकल गया। यात्रा बदस्तूर जारी है। कभी जिस टी शर्ट की कीमत लाखों पर चर्चा होती रही वह आज भी चर्चाओं में है। इसमें राहुल को ठंड नहीं लगती वगैरह-वगैरह। राहुल एक तपस्वी की तरह धूप सर्दी से बेखबर अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे हैं। उनसे पत्रकार जब सवाल करते हैं आपको सर्दी नहीं लगती वे शालीनता से जवाब देते हैं यह सवाल मज़दूर, किसानों से पूछिए। वाकई वे यहां राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की तरह अपनी बात रखते हैं जब बापू से पूछा गया कि आप सिर पर टोपी नहीं रखते हैं तो उन्होंने उस पगड़ीधारी से कहा था आपने छै गज की पगड़ी जो बांध रखी है। बापू ने ब्रिटेन की ठंड में प्रधानमंत्री चर्चिल से मुलाकात की थी तब वह सिर्फ एक धोती पहने और एक लपेटे थे। कड़कड़ाती ठंड में महात्मा गांधी का यह स्वरुप देखकर चर्चिल ने खड़े होकर, ठगा सा रहकर उनका अभिवादन किया था। यह देश पर मर-मिटने वाले गांधी की इतिहास है। राहुल उसी परम्परा के निर्वाहक जन जन को नज़र आ रहे हैं। वैसे भारत में नागा बाबाओं और जैन दिगम्बर मुनियों की तपस्याएं आज भी सबके होश उड़ाए देती है। बेशक राहुल का एक की शर्ट में कड़कड़ाती ठंड में यूं चलना उनकी तपस्या का एक अहम हिस्सा है।
अपनी सनातनी परंपराओं और महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलकर राहुल गांधी ने आज़ादी के बाद घर में घुसे कथित आतताईयों के विरुद्ध जो मुहिम शुरू की है वह देश की सनातन संस्कृति को सुदृढ़ करेगी हमारी गंगा जमुनी तहज़ीब बरकरार रखेगी। कांग्रेस ने तब अंग्रेजों से अहिंसक लड़ाई जीती थी यकीन है कि एक बार कांग्रेस फिर जन जन के मन के साथ देश को सही राह पर वापस लाने में सफल होगी । ज़रुरत है मोदी के गोदी मीडिया के संजाल से बाहर निकलने की।

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