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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

-विष्णु नागर॥

उस गरीब के शेयरों का कुछ ही दिनों में इतना सत्यानाश हो गया कि वह 100 अरब डालर से भी अधिक गंवा बैठा – सौ अरब डालर ! सौ डालर नहीं, एक हजार भी नहीं। एक लाख भी नहीं और दस लाख नहीं। एक करोड़ नहीं और दस करोड़ भी नहीं। सौ करोड़ यानी एक अरब भी नहीं,पूरे के पूरे सौ अरब! और सौ अरब रुपए भी नहीं, सौ अरब डालर! कितनों ने आज तक देखा होगा एक डालर का नोट और वह 100 अरब डालर से ज्यादा गंवा बैठा?इन लोगों को क्या पता डालर की महिमा? आजकल उसका स्थान भगवान से ऊपर है। उन्हें यह भी नहीं मालूम कि सौ के बाद कितने शून्य लगाने पर सौ अरब डालर होते हैं? और सौ अरब डालर का मतलब रुपयों में कितना होता है ,यह बताना भी कितनों के बस में है? मैंने अरब -खरब आदि के बारे में बचपन में पाठ्यपुस्तकों में पढ़ा था, रटा भी था। आज भी याद है-नील-दस नील, पदम-दस पदम।शंख-दस शंख पर ये मेरे किसी काम नहीं आया!

अरब रुपए या हद से हद खरब रुपए का आंकड़ा भी कभी अखबार में पढ़ा है, कभी टीवी पर देखा- सुना भी है। इतने अरब की फलां योजना और इतने खरब की फलां योजना! मैंने तो आज तक एक लाख रुपए भी एकसाथ नहीं देखे हैं!चैक देखा है मगर इतने रुपए एक बार में नहीं देखे !और इधर अरबों की पूंजी दुनिया के सबसे बड़े पूंजीपतियों में से एक ने गंवा दी और मोदी जी के अलावा किसी को उससे सहानुभूति नहीं? और कितने दुख की बात है कि मोदी जी भी खुद सामने आकर उससे सहानुभूति जता नहीं पा रहे हैं। अपने सबसे अच्छे दोस्त के मामले में भगवान उन जैसे ‘परमभक्त ‘ की भी परीक्षा ले रहा है और वे इतने अधिक विनम्र हैं कि दे भी रहे हैं, जबकि ‘ परीक्षा पर चर्चा ‘ का वह हुनर-जो वह छात्रों को साल दर साल सिखाते हैं- काम नहीं आ रहा है!चीन के बारे में तो फिर भी एक बार उन्होंने कह दिया था कि न तो कोई घुसा हुआ है, न कोई घुसा था, न कोई घुसा बैठा है मगर अपने मित्र अडाणी जी के बारे में वे इस तरह का ‘ वेदवाक्य ‘ भी नहीं कह पा रहे हैं!उनकी तारीफ़ कीजिए कि वह बिना कैमरे के एकांत में आज आंसू बहा रहे हैं मगर उसके फोटो नहीं खिंचवा रहे हैं।अभी भी हंसने- -मुस्कुराने की इमेज लहरा रहे हैं। 56 इंची हैं,यह साबित करके दिखा रहे हैं, जबकि दुनिया जानती है कि उन्हें रोने की कला, बहुत अच्छी तरह आती है। कई बार परफार्म करके दिखा चुके हैं, फिर भी दिल ही दिल में रो रहे हैं!सबके सामने रोएंगे तो संसद में विपक्ष इसे भी मुद्दा बना देगा!

इधर हम टटपुंजिए हैं! हम जैसों का तो सौ रुपये का नोट भी गुम हो जाए तो रोने-रोने को हो आते हैं। इस दुख में कई बार एक बार का खाना तक नहीं खाते हैं। बीवी को उसकी लापरवाहियों के झूठे -सच्चे किस्से सुनाकर उसे भी रुला देते हैं। और उधर कल तक जो दुनिया के सबसे बड़े सेठों में एक था, उसके एक खरब डालर से अधिक डूब गए हैं मगर हमारी आंखों में एक आंसू की एक बूंद तक नहीं! गरीब, दलित, आदिवासी, मुसलमान के लिए हमारी आंखों में आंसू नहीं, यह समझ में न आकर भी अब समझ में आने लगा है मगर हम तो इतने गिरे हुए हैं कि हमें मोदी जी और अडाणी जी के आंखों के आंसू तक दिखाई नहीं दे रहे हैं! ठीक है वे इस बार वे सबके सामने रोकर दिखा नहीं रहे हैं मगर हममें इतनी कल्पनाशक्ति तो होनी चाहिए कि एकांत में बहते उनके आंसुओं को अपने दिल की आंखों से देख सकें, दो आंसू हम भी बहा सकें? ये क्या हो गया है भारतीय समाज को- विशेषकर हिन्दू समाज को? उसका इतना पतन और वह भी इतनी जल्दी ? हम किस ओर जा रहे हैं? क्या हमारी- आपकी संवेदनाएं मर चुकी हैं? क्या यही सीखा है हमने 2014 से आज तक?

क्या हम इसी तरह विश्व गुरु बनना चाहते हैं? दुनिया को इसी तरह रास्ता दिखाना चाहते हैं?मेरी तो सलाह है कि ऐसी हृदयहीनता दुनिया के सामने आने के बाद हमें विश्वगुरु बनने का सपना देखना बंद कर देना चाहिए और अगर बन चुके हैं तो इस पद से फौरन इस्तीफा देकर अलग हो जाना चाहिए। और कोई हमें चिढ़ाए कि कल तक तो आप बड़े विश्वगुरु बने घूम रहे थे तो हमें कहना चाहिए कि हमने ऐसा कभी नहीं कहा था।ये विडियो झूठे हैं। हमें बदनाम करने की यह पाकिस्तान की साज़िश है। मोदी जी ने कभी ऐसे झूठे दावे नहीं किए,न वे करते हैं,न वे करेंगे कभी। उनका कभी झूठ से नाता नहीं रहा। उनका नाता केवल अडाणी जी और अपने आप से रहा है। उनका तो भारत की जनता से भी कोई नाता नहीं। ऐसी शुद्ध और पवित्र आत्मा हैं वह-एकदम 24 कैरेट!

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