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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

-सत्य पारीक॥
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भयभीत हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सचिन पायलट को हथियार बनाया है । दोनों में राजनीतिक सौदेबाजी में पायलट को राज्यसभा की सीट के साथ केन्द्र में मंत्री पद दिया जाएगा । बदले में पायलट वसुंधरा के खिलाफ अभियान चला कर उन्हें बदनामी के उस कगार तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे जिससे वे पार्टी में भावी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के साथ अपने पर लगे करप्शन के आरोपों को दबाने के लिए मोदी से समझौता करने को मजबूर हो जाए ।
सूत्रों का कहना है कि राजे के पास ऐसे सबूत हैं जिनके उजागर होने से मोदी का सिंहासन डोल सकता है, इसी कारण राजे को उनके मुख्यमंत्रित्व काल के करप्शन उछालने का उचित पात्र समझा है । उल्लेखनीय है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व वसुंधरा के कारण ही पायलट का गुरुग्राम आपरेशन असफल हुआ था तबसे वे तिलमिलाए हुए हैं । मंगलवार को वसुंधरा सरकार के समय हुए घोटालों के मुद्दे उछालने की रणनीति के तहत बना कर ही पॉयलेट ने  एक दिवसीय अनशन करने की योजना बनाई है । सूत्रों का कहना है कि उनके अनशन में उनकी पार्टी से अधिक भाजपा के कार्यकर्ता शामिल होंगे ।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रधानमंत्री मोदी से आखिरी मुलाकात पार्लियामेंट स्थित पीएम ऑफिस में हुई थी । जिसमें राज्य की राजनीति से जुड़े मुद्दों पर दोनों में चर्चा हुई सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री के चैंबर में तकरीबन आधे घंटे तक वन-टू-वन मुलाकात हुई । इस मुलाकात में बताया जा रहा कि राजस्थान के कई राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई है. संसद भवन में सांसद मनोज राजोरिया, निहालचंद मेघवाल, रामचरण बोहरा, रामकुमार वर्मा और दुष्यंत सिंह ने वसुंधरा राजे की अगवानी की । सूत्रों का कहना है कि मोदी ने वसुंधरा की बातें ज्यादा सुनी लेकिन स्वंय कम बोले अंत मे दोनों के बीच की बैठक इस वाक्य के साथ हुई …देखते हैं । इसके बाद वसुंधरा की बैठक अमित शाह से भी हुई लेकिन उन्हें कोई ठोस जवाब व भविष्य को लेकर संकेत नहीं दिया ।
राज्य की भावी राजनीति में जोड़तोड़ होने लगा है जिसमें आम आदमी पार्टी ने राज्य की आर एल पी से गठबंधन करने की खबरें आ रही । इसी बीच आर एल पी सांसद हनुमान बेनीवाल ने पायलट को खुला निमन्त्रण दे रखा है कि वे कांग्रेस छोड़ अपनी अलग पार्टी गठित करें तो उनके साथ गठबंधन हो सकता है । पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि बेनीवाल ने पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का वचन नहीं दिया इसलिए उनकी ऑफर पर अभी कोई निर्णय नहीं किया गया ।
पायलट और प्रधानमंत्री के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया कड़ी बने हुए हैं जिन्होंने अनेक दफा अपने मित्र को भाजपा में आने का ऑफर दिया था लेकिन वे निर्णय लेने में अबतक असक्षम रहे हैं । इसी कारण पायलट को लेकर तरह तरह की अफवाह फैलाई जाती हैं जिनका उत्तर इन्हें मिल चुका है कि पार्टी आलाकमान राज्य में नेतृत्व परिवर्तन नहीं करने वाली । इसी लिए पायलट ने निराश होकर प्रधानमंत्री के ऑफर पर काम करना शुरू किया है लेकिन राजनीतिक क्षेत्रों में किसी को ये भरोसा नहीं है कि पायलट अपने को मिले कमिटमेंट पर टिके रहेंगे या कोई नया राजनीतिक खेल शुरू कर देंगे ?

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