-सत्य पारीक॥.
राज्य कांग्रेस के प्रभारी महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा का कार्यकाल केवल गाल बजाने वाले नेता का बनता जा रहा है । जबसे ये राज्य कांग्रेस के प्रभारी नियुक्त हुए हैं तबसे लेकर अब तक के इनके बयान केवल बयान तक ही सीमित हैं । लगता है चुनावी साल में रंधावा को राज्य कांग्रेस का कोई भी छोटा बड़ा नेता गम्भीरता से नहीं ले रहा है । जिसके पीछे कारण यही बताया जा रहा है कि इन्हें प्रभारी बना तो दिया लेकिन कोई अधिकार नहीं दिये हैं इसलिए केवल बयान बाजी से ही अपनी राजनीतिक दुकान चला रहे हैं ।
जिस दिन से रंधावा की नियुक्ति प्रभारी के पद पर हुई है तब इनके सामने जो राज्य कांग्रेस की समस्या ऐ थे उनमें बढ़ोतरी हुई है निदान नहीं । पिछले दिनों बागी नेता सचिन पायलट ने अपनी सरकार से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए करेप्शन की जांच की मांग लेकर दिये गए एक दिवसीय अनशन के बाद पार्टी की और से गीदड़ भभकी रंधावा ने दी । अनुशासन हीनता को लेकर दावे तो बड़े बड़े किये लेकिन हकीकत में शून्य ही रहा इसी कारण पायलट घायल शेर की तर्ज पर गहलोत सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं ।
प्रदेश कांग्रेस का आयोजित तीन दिवसीय वन टू वन कार्यक्रम में पायलट ने शामिल नहीं हो कर पार्टी को खुली चुनौती दी है । जिसके जवाब में रंधावा ने एक बार फिर लम्बी फेंकने का रिकॉर्ड तोड़ दिए । पायलट के वन टू वन कार्यक्रम में नहीं आने पर रंधावा ने सार्वजनिक बयान दिया है कि कोई कितना बड़ा नेता हो गलतफहमी नहीं पाले , अगर उसे गलतफहमी है तो वे निकाल देंगे । इससे पहले जब ये कार्यक्रम शुरू हुआ था तब भी रंधावा ने लम्बी फेंकते हुए कहा था कि जो अनुशासन हीन हैं उन्हें अनुशासन वे सिखाएंगे जो पायलट के लिए था ।
रंधावा की मौजूदगी में ही जयपुर के पुलिस थाने में अनुशासन हीनता के दोषी रहे जलदाय मंत्री महेश जोशी के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज हुई जिसमें मंत्री पर आरोप है कि उनके प्रताड़ित करने से एक व्यक्ति ने आत्महत्या की है । राज्य के वरिष्ठ मंत्री शान्ति धारीवाल , डॉ महेश जोशी व पर्यटन निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ पर अनुशासन हीनता की तलवार लटक रही है । मगर रंधावा जबसे प्रभारी नियुक्त हुए हैं तबसे कोई कार्यवाही करने की बजाय बयानों की झड़ी लगाये हुए हैं ऐसा होने से राज्य कांग्रेस में स्पष्ट संकेत जा चुका है कि प्रभारी केवल बयानबाजी तक ही सीमित हैं । ऐसी छवि वाले रंधावा आगामी विधानसभा चुनाव में जैसा नेतृत्व कर सकते हैं उसका अहसास कांग्रेसियों को हो चुका है । जैसा ये पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टी का सूपड़ा साफ करके राजस्थान आए हैं वैसा ही यहां तय है ।
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