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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

-विजय सहगल॥

सेवानिवृत्त जीवन को यादगार बनाने हेतु हम पांचों मित्र जो “पाँच पांडव” नाम से विख्यात थे ने देश के पूर्वोत्तर राज्य आसाम और मेघालय जाने का कार्यक्रम बनाया। मित्र नीलिमा-अनिल रस्तोगी तो अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण उपलब्ध न हो सके लेकिन हम चारों मित्रों को अपनी अपनी अर्धांगनियों के साथ देश के पूर्वोत्तर राज्यों के प्रवेश द्वार गुवाहाटी मे एकत्रित होना था। यात्रा के एन एक दिन पहले डी॰के॰ (साधना-दिनेश मेहरोत्रा) की अस्वस्थता के चलते वे भी लखनऊ से न आ सके। कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था इसलिये अब हम तीनों साथी उमा-संजीव, आशा-श्याम टंडन, रीता और मै दिनांक 31 अक्टूबर 2022 को गुवाहाटी पहुँच गये। हमारे ग्रुप मे आशा-श्याम की बेटी दिशा भी थी जो ग्रुप मे सबकी लाड़ली और चहेती थी, दिशा के मेघालय मे मावसमई की लाईम स्टोन से बनी गुफाओं मे उसकी बहदुरी और निडरता के लिए हम सभी ने उसे “कर्नल” कह संभोधित कहना शुरू कर दिया!

5 नवंबर 2022 को हम लोगो का काजीरंगा राष्ट्रीय अभ्यारण मे एक सींग वाला गेंडा हाथी (Rhino) देखने जाने हेतु प्रातः चार बजे उठ कर हाथी की सवारी करने हेतु प्रस्थान करना था। समस्या ये थी कि हाथी की सवारी के दो ही टिकिट उपलब्ध थे। तब निश्चित ही ग्रुप के दो बहादुर सदस्यों को स्थान मिलना था। इस हेतु मेरे और कर्नल (दिशा बिटिया) को मौका मिलना ही था पर प्रतीक्षा सूची के कारण आशा और मेरी पत्नी रीता को भी हाथी की सवारी की संभावना थी, जो काजीरंगा के बारगी स्थित पार्क के प्रवेश द्वार पहुँचने पर कन्फ़र्म हो गयी। एक हाथी पर चार पर्यटकों के बैठने की व्यवस्था थी पर अभ्यारण के नियमों के चलते कन्फ़र्म और प्रतीक्षा सूची के पर्यटकों को अलग अलग हाथी से सवारी करनी थी। पर आशा और रीता रूपी महिला शक्ति के प्रतिवाद के चलते अंततः हम सभी एक ही हाथी पर सवार हो राइनो की तलाश मे कांजी रंगा पार्क के जंगल मे चल पड़े।

चूंकि हाथी की सवारी के पूर्व रुपए 100/- की एक “सशस्त्र सुरक्षा फीस” के नाम की रसीद संख्या 63793 दी गयी जो प्रवेश द्वार पर काजीरंगा अभ्यारण के स्टाफ ने बापस ले ली। पर देश मे व्याप्त विभागों मे अफसरशाही, लालफ़ीताशाही और अनधिकृत कदाचार के मेरे अनुभव ने मुझे सशस्त्र सुरक्षा रसीद की फोटो लेने को प्रेरित किया। हाथी की सवारी की फीस 1000/- रुपए प्रति सवारी की कोई रसीद किसी भी पर्यटक के पास नहीं थी क्योंकि काजीरंगा अभ्यारण के अधिकारियों ने कोई रसीद किसी को दी ही नहीं।
कुछ कदम अंदर पैदल जाने पर हाथियों के झुंड देखने को मिले जिनकी संख्या 30-40 से कम न थी। बाएँ हाथ की दिशा मे बने सीमेंट के प्लेटफॉर्म पर से पर्यटक हाथी पर कसे हौदों पर बैठ रहे थे। एक हाथी पर निर्धारित चार पर्यटकों के बैठते ही दूसरे हाथी पर पर्यटकों को बैठने के लिये स्थान खाली कर आगे बढा दिया जाता। इस तरह पाँच-छह हाथियों का एक झुंड बना हाथी के महावतों की अगुआई मे उनको जंगल की ओर छोड़ दिया जाता। हम लोग भी छह हथियों के एक समूह के साथ आगे बढे। ये समूह कुछ दूर आगे बढ़ा ही था कि पुनः तीन-तीन हाथियों के दो दल मे विभक्त हो कर अलग अलग दिशाओं मे “राइनो” की तलाश मे बढ़ गए। हम लोग कुछ सौभाग्यशाली थे मुख्य पगडंडी को छोड़ दलदले मे मुड़े ही थे कि एक मादा राइनो अपने एक बच्चे के साथ बैठी दिखाई दी। हाथी के पदचाप और पर्यटकों के शोर के कारण वह मादा राइनो दूसरी ओर झड़ियों के तरफ मुड़ गयी। तीनों हथियों पर बैठे सभी सवारों ने जिज्ञासा और उत्सुकता से काजीरंगा अभ्यारणय के मुख्य आकर्षक इन मेहमान राइनो को देखा और अपने अपने मोबाइल, कैमरों मे कैद किया। प्राकृतिक परिवेश मे इन अथितियों को इतने नजदीक से देखना एक अलग ही रोमांचक अनुभव था जिसको मैंने भी अपने मोबाइल मे कैद करने की कोशिश की।

हम सभी खुश थे और इसके बाद अन्य राइनो की तलाश मे आगे बढ़ ही रहे थे कि हमारे समूह के एक हाथी पर बैठे पर्यटकों के साथ एक अनहोनी घटना घटी। हाथी पर बंधे हौदा धीरे-धीरे एक ओर झुकने लगा। उनके साथ एक 2-3 साल का बच्चा बिट्टू भी था, जो हौदे के एक ओर झुकने के कारण लगातार रोये जा रहा था। धीरे धीरे हौदा लगभग 45 डिग्री तक झुक चुका था। मैंने तीनों हाथी के महावतों को हौदे को ठीक कर सीधा करने को कहा। तीनों महावतों के प्रयास के बावजूद उस हाथी के हौदे को ठीक न किया जा सका, इस आपाधापी मे अचानक ही सवारों के सामने लगा लोहे का सुरक्षा रॉड भी निकल गया। इस कारण जमीन की तरफ बैठे युगल और उनके बच्चे के नीचे गिरने की नौबत देख अन्य पर्यटकों के तो मानों प्राण ही हलक मे अटक गये!! नीचे की ओर लटक रहे युगल के बच्चे को सबसे पहले हमारे समूह की आशा ने अपने हाथों से खींच कर अपने साथ हौदे पर बैठा लिया। तीनों महावत भी हाथी को बिल्कुल एक दूसरे के नजदीक सटा कर आपदा और संकट मे फंसे सहयात्रियों को दूसरे हथियों पर स्थानांतरित करने का प्रयास कर रहे थे साथ ही मै भी अपने ग्रुप के सदस्यों के साथ संकटग्रस्त हाथी सवारों की हौसला अफजाई और प्रोत्साहन से उनके डर-भय को दूर करने का प्रयास कर रहा था ताकि वे निडर होकर आए हुए संकट का सामने बहादुरी और हिम्मत से कर सके। जब मैंने तीनों महावतों से हाथी को नीचे बैठा उस पर सवार यात्रियों को संतुलित तरीके से बैठाने या पैदल पैदल गंतव्य तक ले चलने को कहा? तो महावतों ने कहा कि नीचे दलदल मे राइनो का संकट अभ्यारण के नियम के तहत हमे इस तरह की अनुमति नहीं देते!! नीचे झुक रहे हौदे पर से हमारे हाथी के महावत ने अब आकस्मिक परिस्थितियों मे उस युवती का हाथ पकड़ कर अपने हाथी पर हिम्मत से कदम बढ़ा उछलने को कहा!!

यद्यपि दोनों हथियों के बीच मात्र 3-4 फुट का ही फासला था पर इनके बीच नीचे तीन हाथियों के भारी-भरकम पैरों के बीच 15-17 फुट नीचे की दलदली खाई, मेरे सहित सभी पर्यटकों का दिल दहलाने को काफी थी। साथ ही आस-पास अदृश्य रूप से घूम रहे एक सींग वाले हिंसक राइनो का भी जान लेवा संकट मंडरा रहा था। डर ये था कि हाथ छूटने की कल्पना से ही मन सिहर जाता था। पर ईश्वर की कृपा और उन दोनों युगल की हिम्मत और बहदुरी ने एक एक कर दोनों युवतियां हमारे हाथी पर एवं उनके पतियों को दूसरे हाथी पर चढ़ने की कोशिश कामयाब हो गयी। संकट का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिस हाथी पर नियमानुसार चार व्यक्तियों के बैठने की अनुमति थी उस पर 7-8 लोग सवार थे। लेकिन मानवता का तक़ाज़ा था कि हमे एक दूसरे के सहयोग से इस संकट से उबरना था। यही नहीं हाथी के माथे पर, सूड़ की तरफ महावत के बाद दो सवार और बैठे थे जो घोर संकट मे थे। हम सभी ने इस संकट ग्रस्त परिस्थियों से ध्यान हटाने के लिए और इस दौरान माहौल को हल्का-फुल्का बनाने के लिए एक दूसरे का उत्साहवर्धन किया और “चल चल चल मेरे हाथी…………” जैसे गाने गाये ताकि उन युगल बापसी स्थल तक के संकट का समय शिथिलता और निडरता से कर सके।

अब बिना एक पल गँवाए मैंने तुरंत ही महावतों से बापस गंतव्य स्थल पर चलने का आग्रह किया। मेरे क्रोध की सीमा उस समय चरम पर थी जब इस संकट के दौरान एक हाथी पर सवार पर्यटक ने श!…..श!….श!…. चुप कराते हुए शोर न करने का इशारा किया ताकि “राइनो” को देखा जा सके!! मैंने क्रोधावेश मे उन सज्जन को डांटते हुए कहा कि लोगो की जान जोखिम में है और आपको राइनो देखने की पड़ी है!! चुप रहिए!! बंद कीजिये अपनी श!…..श!….श!….। अब तक हमारे तीन हाथी समूह का एक हाथी बिना सवारी के साथ-साथ खाली चल रहा था और जिसकी सवारियों अन्य दो हाथी पर सवार हो, अपनी यात्रा अधूरी छोड़ कर बापसी की राह पकड़ चुकी थी।

हद तो तब हो गयी जब दोनों हथियों को वापसी स्थल के सामने, हाथी को बैठा कर हम लोगो को उतारने का प्रयास किया गया। क्योंकि 30-40 हथियों और सकड़ों पर्यटकों के भीड़ के बीच हमारे दोनों हाथियों जिन पर 7-8 लोग सवार थे पर कोई ध्यान न दे सके और इस “अप्रिय जान जोखिम” की घटना को रफा दफा किया जा सके!! इस आशंका को भाँप मैंने चीख-चींख कर वहाँ उपस्थित एक दो गार्ड को तुरंत आपात स्थिति मे प्लेटफॉर्म को खाली करा हमारे दोनों हथियों को प्राथमिकता के आधार पर पर्यटकों को तुरंत उतारने का निर्देश दिया। मेरे चीखने-चिल्लाने पर वहाँ उपस्थित सैकड़ो पर्यटकों और काजीरंगा अभ्यारणय के उपस्थित स्टाफ का ध्यानाकर्षित हुआ और शीघ्र ही प्लेटफॉर्म को खाली करा कर तुरंत हम सभी को उतारा जा सका। अब हम लोगो की जान सांसत से मुक्त हो चुकी थी। उन दोनों युवतियों की आँखों मे खुशी के आँसू थे। अपने बच्चे “विट्टू” को गोद मे लिए वे बार-बार एक दूसरे को गले लग अपनी खुशी का इज़हार कर रहे थे।

बाद मे ज्ञात हुआ कि ओड़ीशा निवासी श्री संतोष साहू अपनी पत्नी, बच्चे और साथी युगल के साथ त्रिपुरा राज्य की राजधानी अगरतला से आये थे जहां वे इरकॉन मे उप महा प्रबन्धक के पद पर कार्यरत थे। उनके साथी श्री प्रत्युष साहू भी उनके साथ थे।

इस पूरे प्रकरण मे काजीरंगा अभ्यारण के अधिकारियों का व्यवहार बहुत ही लापरवाही और गैरजिम्मेदारना था। उसी दिन मैंने [email protected] को शिकायत प्रस्तुत की। असम के दृश्य और प्रिंट मीडिया ने इस घटना को प्रमुखता से प्रसारित किया लेकिन कहीं कोई कार्यवाही की सूचना हमे अब तक अप्राप्त है। मेरी ऐसी शंका है कि काजीरंगा वन अभ्यारण मे अधिकारियों की आपसी मिली भगत से कोई बड़ा घपला या घोटाला चल रहा है? जिसकी जांच आवश्यक है। पार्क मे वन अभ्यारण की देख रेख मे प्रति हाथी की सवारी की फीस 4000/- बसूल की जा रही है अनेकों अनुनय विनय के बावजूद इसकी कोई रसीद मुझे नहीं प्रदान की गयी? रुपए 100/- की सशस्त्र सुरक्षा रसीद दी गयी किन्तु प्रवेश द्वार पर वह भी वापस ले ली गयी। ईश्वर न करें यदि कहीं कोई अनहोनी हो जाती तो काजीरंगा अभ्यारण प्रशासन की ज़िम्मेदारी तय करने का कोई भी प्रामाणिक दस्तावेज़ हमारे पास उपलब्ध नहीं था??

आशा है असम के मुख्य मंत्री श्री हिमन्त बिश्व शर्मा इस संबंध मे आवश्यक कार्यवाही करेंगे एवं इस संबंध मे की गयी कार्यवाही से अधोहस्ताक्षरित को अवगत कराएंगे? पार्क मे हाथी के सवारी के दौरान सुरक्षा के आवश्यक प्रबंध एवं हाथी की सवारी मे वसूले जा रहे शुल्क की रसीद मे पारदर्शिता रखेंगे?

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