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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

-सत्य पारीक॥

पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कांग्रेस से त्यागपत्र देने की बजाय बर्खास्त होकर जनता की सहानुभूति प्राप्त करना चाहते हैं । इसलिए अपनी सरकार के खिलाफ एक दिवसीय धरना देने की रणनीति अपनाई है जबकि दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन्हें सहानुभूति का पात्र नहीं बनने देना चाहते हैं । पायलट ने अपने निवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में गहलोत पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया । उन्होंने ने ये घोषणा कर दी कि अपनी ही सरकार के खिलाफ 11 अप्रैल को शहीद स्मारक पर अनशन करेंगे ।
इस अनशन में पायलट का शक्ति प्रदर्शन होगा , जिसमें कौन कौन से मंत्री विधायक व संगठन से जुड़े नेता पहुंचते हैं । यही अनशन पायलट की अग्नि परीक्षा बन सकता है क्योंकि इसमें आने वाली भीड़ ही बतायेगी कि पायलट की राज्य और कांग्रेस में जडे कितनी गहरी है । अपनी सरकार के खिलाफ अनशन करना वो भी महात्मा ज्योतिबा फूले के जन्मदिन पर शहीद स्मारक के सामने का अर्थ ये भी है कि गहलोत की बिरादरी का समर्थन प्राप्त करना जिसका विरोध माली समाज कर सकता है अगर मुख्यमंत्री ने संकेत कर दिया तो ?
पायलट ने घुमा फिरा कर मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब हमारी 2018 में सरकार बनी थी तब भ्रष्टाचार को लेकर हमने मिलकर अनेक दावे किये थे । जिनके अनुसार अब तक एक भी काम नहीं हुआ हैं। इसे देखते हुए वे 11 अप्रैल को शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करूंगा। यह अनशन उन बातों को रखने और उन्हें करने लिए किया जा रहा है जो अब तक हमारी सरकार द्वारा नहीं हुईं ।

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