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फिलहाल सचिन टीम की हालत बुरी तरह खस्ता..

-महेश झालानी॥

पार्टी आलाकमान ने तात्कालिक निर्णय लिया है कि सचिन पायलट के खिलाफ कोई मुकम्मल अनुशासनात्मक कार्रवाई नही होगी । लेकिन उन्हें सीएम का पद भी नही मिलेगा । इसी पद को पाने के लिए पिछले तीन साल से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तलवारें खिंची हुई थी । पार्टी नेतृत्व का मानना है कि सचिन के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने से पार्टी का चीर हरण होने की पूरी पूरी संभावना है ।

राजनीति के माहिर खिलाड़ी कमलनाथ को सर्वग्राह्य फार्मूला निकालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है । उन्होंने पराम् दृष्टया मौखिक रूप से कह दिया है कि वर्तमान परिस्थितियों में सीएम बदलना न तो पायलट के पक्ष में है और न ही गहलोत के । पार्टी के लिए यह फैसला सुसाइडल बम के समान होगा ।

सूत्र कहते है कि पायलट द्वारा उठाए मुद्दे गलत नही है । लेकिन उनको उठाने का तरीका गलत था । मुद्दा उठाने से पूर्व उन्हें प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, गोविंद सिंह डोटासरा, सीएम अथवा पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को कॉन्फिडेंस में लेना चाहिए था । सूत्रों का कहना है कि मान लिया कि पायलट और सीएम के रिश्तों में खटास थी । लेकिन जब खाचरियावास के घर पायलट जा सकते है तो सीएमआर जाने में परहेज क्यो ?

पता चला है कि सचिंन के अलावा कमलनाथ उनकी मां रमा पायलट के अलावा फारुख अब्दुल्ला से भी बात कर रहे है । पायलट के फारुख ससुर है । मानेसर प्रकरण के बाद भी सुलह कराने में फारुख की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी । सुलह की प्रक्रिया के अंतर्गत गहलोत से भी कमलनाथ बातचीत कर सकते है । पिछली दफा भी फारुख के हस्तक्षेप से स्व अहमद पटेल ने निर्णायक भूमिका अदा की थी ।

सूत्रों का मानना है कि अब सचिन और गहलोत की बारगनिंग पावर में गिरावट आई है । पायलट झुकेंगे तो गहलोत को भी झुकना पड़ेगा । लेकिन समझौता सीएम की कुर्सी पर नही होगा । अनुमान है कि 20 से पहले दोनों के समझौता हो जाएगा या फिर कभी नही होगा । आम आदमी पार्टी ने सचिन के लिए रेड कार्पेट बिछा रखी है । उधर हनुमान बेनीवाल भी सचिन पर डोरे डाल रहे है ।

एक वरिष्ठ नेता को सचिन से बात करने के लिए अमित शाह ने जिम्मेदारी सौंपी है । गहलोत और पायलट की जंग में शांति धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़ और एक अन्य वरिष्ठ नेता की बलि चढ़ने की संभावनाओं से इंकार नही किया जा सकता है । वैसे जो हाल सचिन का है, कमोबेश वही हाल बीजेपी में वसुंधरा का है । उनको कई देवी देवताओं के सहारे की उम्मीद है । वर्तमान हालातो को देखते हुए उदयपुर व रायपुर में हुए चिंतन शिविर पूरी तरह फ्लॉप साबित हुए ।

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