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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

-सुनील कुमार॥

पाकिस्तान से एक शादीशुदा-बाल बच्चों वाली महिला ऑनलाईन मोहब्बत के चलते पति को छोडक़र, घर-बार बेचकर गैरकानूनी तरीके से हिन्दुस्तान पहुंच गई, और दिल्ली के करीब अपने प्रेमी के साथ रहने लगी, तो हिन्दुस्तानी मीडिया की मानो निकल पड़ी। जिस इलाके में किराए के एक कमरे में यह प्रेमी जोड़ा, प्रेमिका के चार बच्चों समेत रह रहा है, वहां के मोहल्ले के तमाम लोगों के लिए वह गरीब की लुगाई, गांव भर की भौजाई हो गई है। लोगों को ऐसी पाकिस्तानी भाभी को देखने में मजा आ रहा है जो अब तक कानूनी तौर पर किसी और से शादीशुदा है, और अपने चार बच्चों को लेकर ऐसे प्रेमी के पास आ गई है जिसकी तनख्वाह छह हजार रूपए महीने है। हिन्दुस्तान में बहुत से ऐसे लोग हैं जो कि महज इस बात से गर्व से भर जाएंगे कि उनके एक बेरोजगार हिन्दू नौजवान के प्रेम में पाकिस्तान की शादीशुदा महिला सब छोडक़र सरहद तोडक़र यहां आ गई है। यह आबादी का वही हिस्सा है जो कि सानिया मिर्जा के एक पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी शोएब मलिक से शादी पर शर्मिंदगी से डूब गया था, और सोशल मीडिया पर सानिया पर हमले होने लगे थे कि क्या उसे हिन्दुस्तान में अपने लायक एक मर्द न मिला? जहां राष्ट्रगौरव ऐसे एक-एक निजी मामलों को लेकर प्रभावित होने लगता है, वहां पर लोगों को किसी असल कामयाबी की कोई जरूरत भी नहीं रह जाती है। एक बेवकूफ औरत परले दर्जे की गैरजिम्मेदारी से चार बच्चों को लेकर गैरकानूनी तरीके से हिन्दुस्तान घुस आई, और वह हिन्दुस्तान के निठल्लों और बेरोजगारों की पसंदीदा भाभी बन गई, और मीडिया भी इस ऑनलाईन-मोहब्बत पर इस तरह टूट पड़ा कि मानो सलीम और अनारकली से इंटरव्यू लेने का एक मौका मिल गया है। इस बात को देखने की फिक्र नहीं की गई कि चार मासूम नाबालिग बच्चों का भविष्य इससे किस तरह तबाह हो रहा है, और वे एक परदेस में सरकार के रहमोकरम पर किसी यतीमखाने के होकर रह जाएंगे।

दरअसल हिन्दुस्तान के भीतर हिन्दू लड़कियों के मुस्लिम लडक़ों से शादी करने पर लव-जिहाद का नारा लगाने वाले लोगों को यह रिवर्स लव-जिहाद बड़ा माकूल बैठ रहा है, और इसे दिखाकर वे साबित कर सकते हैं कि मुस्लिम लडक़ों में ऐसा कुछ नहीं रखा हुआ है कि हिन्दू लड़कियां परिवार और समाज के खिलाफ जाकर उनसे शादी करें। पाकिस्तान से आई यह महिला इन लोगों के लिए एक बड़ी मिसाल की तरह औजार या हथियार बन गई है कि एक तकरीबन बेरोजगार और बहुत गरीब हिन्दू-हिन्दुस्तानी नौजवान में भी इतना आकर्षण है कि एक शादीशुदा मुस्लिम-पाकिस्तानी महिला अपनी पूरी दुनिया को लात मारकर उसके पास आ गई है। यह कहानी किसी प्रेम कहानी से अधिक धर्मोन्माद और राष्ट्रवाद की कहानी बन गई है, और इसे पाकिस्तान के खिलाफ हिन्दुस्तान की फतह की तरह पेश करने में बहुत से चैनल और कुछ अखबार लग गए हैं। जिस देश में निठल्लों की जमात को संतुष्ट और खुश करने के लिए इतना ही काफी हो, उन्हें फिर कोई रोजगार देने की जरूरत ही क्या रह जाती है? इसलिए पाकिस्तानी सीमा और हिन्दुस्तानी सचिन की यह प्रेम कहानी हिन्दुस्तान के एक राजनीतिक एजेंडा को भी ठीक बैठ रही है, और इससे उन लोगों का अहंकार भी संतुष्ट हो रहा है जो कि इसे हिन्दुत्व और हिन्दू की जीत समझ रहे हैं। ऐसे लोगों को शायद यह भी उम्मीद होगी कि इस मिसाल के बाद हिन्दुस्तान की मुस्लिम लड़कियां बड़ी संख्या में हिन्दू नौजवानों से मोहब्बत करने लगेंगी, और घर-बार छोडक़र उनके दरवाजे पहुंच जाएंगी।

जब देश में लोगों की समझ को गर्म लोहे की तरह तपाकर, और धर्मान्धता का घन चला-चलाकर भोथरा किया जाता है, तब उनके गले कोई भी बात उतारी जा सकती है। जब मीडिया एक एजेंडा को आसमान तक पहुंचाने में लगा रहता है, तो उस आसमान से उसे धरती की यह हकीकत नहीं दिखती कि ऐसी प्रेम कहानी में चार बेकसूर और मासूम बच्चों का क्या जुर्म है कि वे पल भर में घर से बेघर हो गए, और परदेस में वहां की सरकार की रहम पर रह गए हैं। एजेंडा के आसमान पर पहुंचे हुए ऐसे मीडिया को यह भी नहीं सूझ रहा कि एक मजदूर किस्म के शौहर को इस तरह धोखा देकर, उसके पैसों से ली गई जमीन-जायदाद बेचकर, बच्चों को लेकर गैरजिम्मेदारी दिखाते हुए, जुर्म करते हुए जो महिला हिन्दुस्तान आई है, क्या वह सचमुच ही हिन्दुत्व के लिए गौरव की बात है, या वह हिन्दुस्तान के लिए एक हासिल है?

जब देश की सोच पूरी तरह से खत्म की जा चुकी है, जब लोगों को धर्म और राष्ट्रीयता के नाम पर किसी भी हद तक उकसाया और भडक़ाया जा सकता है, तब इस किस्म की गैरजिम्मेदार, और जुर्म के दर्जे की प्रेम कहानी पर यह देश टूट पड़ा है। कल के दिन हिन्दुस्तानी परिवारों की महिलाएं इसी किस्म का फैसला लेने लगेंगी, अपने पति की जुटाकर दी गई संपत्ति को बेचकर, बच्चों के साथ घर छोडक़र किसी ऑनलाईन और तकरीबन बेरोजगार प्रेमी के पास भाग जाएंगी, तो उस दिन यह मिसाल आज के एजेंडाधारी-मीडिया को कैसी लगेगी? और वह इसे किस तरह पेश करेगा? लोगों की सोच सनसनी के गट्ठरतले इस तरह दबा दी गई है कि पाकिस्तान के इन चार छोटे बच्चों के साथ उनकी ही मां के किए जा रहे इस जुल्म में किसी को खराबी दिखना बंद हो गई है। क्या ऐसे हिन्दुस्तानी मीडिया के लोग अपने घर के बच्चों की कल्पना कर सकते हैं कि वे अगर इसी तरह पाकिस्तान जाकर फंस जाएं, तो वे क्या करेंगे? जब किसी देश में लोगों की वैज्ञानिक समझ को, लोकतांत्रिक मूल्यों को, और इंसाफपसंदगी को इस हद तक खत्म कर दिया जाता है, तो फिर उनकी समझ तभी काम करती है जब उनके साथ इसी दर्जे का कोई हादसा हो जाए।

अब हिन्दुस्तान में मनाई जा रही ऐसी खुशी की एक प्रतिक्रिया पाकिस्तान में सामने आ रही है जहां की शुरूआती खबरें कह रही हैं कि वहां सिंध प्रांत में डाकुओं ने हिन्दुओं के एक मंदिर पर हमला किया है। उन्होंने कुछ दिन पहले धमकी दी थी कि सीमा हैदर को भारत से वापिस नहीं लाया गया तो वे हिन्दुओं के पूजा स्थलों पर हमले करेंगे। अब अभी ऐसे एक मंदिर या दरबार पर भारी गोलीबारी हुई है, और पुलिस को वहां दीवार में धंसा हुआ एक रॉकेट भी मिला है जो फूटा नहीं है। डाकुओं ने खुली चेतावनी दी है कि पाकिस्तानी हिन्दुओं का कोई कुसूर नहीं है, लेकिन अगर सीमा हैदर को वापिस नहीं लाया गया तो ऐसे हमले होते रहेंगे। अब हिन्दुस्तान में जो तबका अभी पाकिस्तानी भाभी के जश्न में डूबा है, उसे झंकझोरकर यह बताने की जरूरत है कि पाकिस्तान में इस एक घटना को लेकर हिन्दुओं पर किस तरह का खतरा मंडरा रहा है।

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