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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

-सुनील कुमार॥

दिल्ली से लगे हुए उत्तरप्रदेश के नोएडा की खबर है कि वहां एक हिन्दुस्तानी युवक के साथ अवैध रूप से रह रही एक पाकिस्तानी महिला और उसके चार बच्चों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। सचिन नाम के इस आदमी से इस महिला की ऑनलाईन मुलाकात पबजी नाम के खेल के मार्फत हुई, और वह मोहब्बत में बदल गई। यह युवक किराने की एक दुकान पर नौकरी करता है, और पाकिस्तान की यह महिला 30 साल से कम की है, और चार बच्चों सहित वह पाकिस्तान से पहले नेपाल पहुंची, और वहां से गैरकानूनी तरीके से भारत आकर इस युवक के साथ अपने बच्चों सहित रह रही थी। इसके पीछे जासूसी वगैरह की कोई अधिक साजिश का अंदाज नहीं लगता है क्योंकि कोई महिला जासूस चार बच्चों संग ऐसे काम में क्यों लगेगी, और वह किराना दुकान के एक मामूली नौकर से हिन्दुस्तान की कौन सी जानकारी हासिल कर लेगी? यह सब तो अटकल है जब तक कि पुलिस जांच में पूरी बात सामने नहीं आती है। और हम आज जो तथ्य सामने हैं उन्हीं के आधार पर आगे लिख रहे हैं।

दुनिया के बहुत से समाजों में महिलाओं को सोशल मीडिया की वजह से पहली बार एक इंसान की तरह कई किस्म के हक मिले। उनको घर बैठे ही अपने फोन से फेसबुक दोस्त मिले, इंस्टाग्राम पर वीडियो लेने-देने का हक मिला, और दुनिया के तमाम औरत-मर्द जो कि अपने प्रेमी-प्रेमिका या जीवनसाथी के साथ खुश नहीं थे, उन्हें एक विकल्प भी मिला। खासकर इससे महिलाओं के हक बहुत बढ़े क्योंकि वे ही सबसे अधिक दबी-कुचली रहती थीं, और समाज या परिवार में कैदी की तरह भी रहती थीं। महिलाओं की दबी-कुचली भावनाओं को एक रास्ता मिला, और आज जगह-जगह यह सुनने मिलता है कि लड़कियां अपनी मर्जी से मोहब्बत कर रही हैं, और शादीशुदा महिलाएं भी विवाहेत्तर संबंधों में पड़ रही हैं। यह नैतिक और कानूनी रूप से चाहे कितना ही गलत हो, यह समाज के भीतर लैंगिक समानता का एक दावा भी है, क्योंकि पुरूष तो हमेशा से ही चारों तरफ मुंह मारते रहने के लिए जाने जाते रहे हैं, और महिलाओं के लिए यह उस किस्म की बराबरी की यह एक नई शुुरूआत है।

लेकिन सोशल मीडिया और इस तरह के ऑनलाईन गेम, या किसी दूसरे संपर्क के तरीकों की मेहरबानी से जो नए रिश्ते बन रहे हैं, वे परंपरागत सावधानियों से परे के रहते हैं। पहले जब लोग एक-दूसरे से मिलजुलकर, उनको देखकर, परिवारों के बारे में जानकर संबंध बनाते थे, तो वे अधिक मजबूत बुनियाद पर रहते थे, और सोचे-समझे रहते थे। अब ऑनलाईन पहचान जब बढक़र मोहब्बत तक पहुंच जाती है, तब तक ऐसे साथी एक-दूसरे की कोई हकीकत नहीं जानते, और उन्हें सिर्फ उन्हीं तस्वीरों और जानकारियों की खबर रहती है जो कि उन्हें बताई जाती है। यह सिलसिला एक नए किस्म के खतरे लेकर आ रहा है, और बहुत से लोगों को रिश्तों में दूर तक चले जाने के बाद पता लगता है कि उन्हें जो बताया गया था, उसमें से बहुत सारी बातें झूठ थीं। लेकिन तब तक इतने किस्म के फोटो-वीडियो लेना-देना हो चुका रहता है कि नुकसान की भरपाई आसान नहीं रहती। यह सिलसिला बताता है कि ऑनलाईन दुनिया हकीकत की कड़ी जमीन से बिल्कुल अलग और परे की रहती है, और असल जिंदगी की सीमित समझ से ऑनलाईन रिश्तों के असीमित झूठ को पकड़ पाना आसान नहीं रहता।

अब जिस घटना से हम इस बात को लिख रहे हैं उसी को एक नजर देखें, तो पाकिस्तान जैसे तंगनजरिए वाले समाज में, पुराने खयालों वाले मुस्लिम परिवार की यह महिला अगर अपने चार बच्चों सहित किसी प्रेम में पडक़र हिन्दुस्तान के एक मामूली हैसियत वाले नौजवान के पास आ गई है, पाकिस्तान का अपना घर-परिवार छोडक़र आ गई है, तो आज उसका और उसके बच्चों का क्या भविष्य है? एक तो भारत के कानून के मुताबिक वह मुजरिम भी है क्योंकि वह गैरकानूनी तरीके से यहां पहुंची है, और यहां बसी हुई है। दूसरी बात यह कि उसके बच्चों की हिन्दुस्तान के कानून में कोई हैसियत नहीं है, और सरकार अधिक से अधिक उन बच्चों को सरहद पर ले जाकर पाकिस्तान के हवाले कर सकती है। किसी तरह यह महिला कोई सजा काटकर पाकिस्तान लौटेगी, तो भी उसका वहां परिवार और समाज में क्या भविष्य बचेगा? और यहां किराना दुकान में नौकरी करने वाले नौजवान के साथ उसके चार बच्चों का क्या भविष्य हो सकेगा? ऑनलाईन संबंधों ने लोगों की सामान्य समझबूझ को छीन लिया है। लोग उसे एक हकीकत मानकर, असली दुनिया मानकर उसमें डूब जाते हैं, और जिस तरह बादलों पर चलने पर कंकड़-कांटे नहीं लगते, उसी तरह ऑनलाईन संबंधों में असल जिंदगी की दिक्कतों और खतरों का अहसास नहीं होता। दोनों ही तरफ के लोग अपने को एक खूबसूरत मुखौटे के पीछे पेश करते हैं, और धोखा देते हैं, धोखा खाते हैं।

हिन्दुस्तान में हर दिन ऐसी कई खबरें आती हैं कि किस तरह किसी नाबालिग को भी ऑनलाईन फंसाकर, या किसी शादीशुदा, बच्चों वाली महिला को ऑनलाईन फंसाकर कोई धोखेबाज ले गया। अब बहुत से लोग अपनी पारिवारिक स्थिति के भीतर बेचैन हो सकते हैं, लेकिन उस बेचैनी का ऐसा इलाज ढूंढना बहुत ही खतरनाक है। यह किसी के बताए सट्टा नंबर पर अपनी पूरी जिंदगी लगा देने सरीखा है। लोगों को ऐसी आत्मघाती गलतियां करने से बचना चाहिए क्योंकि यह उनके अपने खिलाफ जाने वाली बात रहती है, और जब वे ऐसी गलती की तात्कालिक सजा को भुगतकर निकलते हैं, तो भी बाकी जिंदगी वे इसकी तोहमत से नहीं उबर पाते। पाकिस्तानी महिला का यह मामला हमें इस बात को लोगों को समझाने के लिए एक अच्छी मिसाल की तरह मिला है, और लोगों को अपने आसपास इस मामले की चर्चा करनी चाहिए, इसके खतरों पर बात करनी चाहिए, ताकि सावधानी का एक सिलसिला शुरू हो सके।

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