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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

 

मध्यप्रदेश में अभी छेडख़ानी से तंग एक लडक़ी ने खुदकुशी की, और उसके बाद पुलिस कार्रवाई न होने से निराश उसके पिता ने खुदकुशी की। अब उस लडक़ी की रोती हुई मां छेडऩे वालों के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग कर रही है। यह नौबत मध्यप्रदेश में ही नहीं है, बल्कि कई दूसरे प्रदेशों में भी है। कॉलेज में पढऩे वाली छात्रा, रक्षा गोस्वामी ने गांव के लोगों की छेडख़ानी से थककर आत्महत्या कर ली थी, और उसने सुसाइड नोट में छह लोगों के नाम भी लिखे थे। पुलिस ने इनमें से सिर्फ एक को गिरफ्तार किया था, और जमानत पर छूटने के बाद वह आरोपी खुदकुशी वाली लडक़ी के पिता को धमका रहा था। डरे हुए पिता ने भी आत्महत्या कर ली, और जब उसकी लाश सडक़ पर रखकर लोगों ने चक्काजाम किया, तब कहीं जाकर पुलिस ने सुसाइड नोट में लिखे नामों पर जुर्म दर्ज किया। परिवार का झोपड़े से भी गया-बीता छोटा सा घर जर्जर हो चुका है। और मध्यप्रदेश के सर्वाधिक बड़बोले गृहमंत्री अब जाकर कुछ पुलिसवालों को निलंबित कर रहे हैं, किसी बड़े अफसर को जांच की जिम्मेदारी दे रहे हैं।

मध्यप्रदेश के बारे में यह समझने की जरूरत है कि वहां इस किस्म की अराजक घटनाएं लगातार हो रही हैं, और अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए मुख्यमंत्री निवास पर बुलाकर पांव धोने को इस परिवार की अकेली रह गई महिला एकदम सही व्यक्ति होगी जिसे वे मां या ताई जो चाहे कहें, चाहें तो बहन कहें, और चाहें तो मरने वाली लडक़ी को भांजी कहें। मुख्यमंत्री निवास पर एक बड़े हॉल में कई परातें सजा देनी चाहिए जहां वे बारी-बारी से लोगों के पैर धोते रहें। एक सरकार जिसे कि कानून का राज लागू करना चाहिए, वह कहीं किसी फिल्मी सितारे के पीछे बावलों की तरह पड़ी रहती थी, तो कहीं किसी लेखक या व्यंग्यकार को एफआईआर की धमकी देती रहती थी, तब तक जब तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से अपने एक प्रदेश के गृहमंत्री की ऐसी हरकतों पर नाखुशी जाहिर नहीं कर दी थी।

खैर, कोई पार्टी अगर अपने ही मुख्यमंत्री, बाकी मंत्रियों से बेहतर कामकाज की उम्मीद करती है, तो उसे खुद भी कुछ मिसालें पेश करनी पड़ती हैं। आज तो देश में एक मिसाल बड़ी साफ-साफ है कि ओलंपिक से गोल्ड मैडल लेकर आने वाली पहलवान लड़कियों की छेडख़ानी और यौन शोषण की दर्जनों घटनाओं की शिकायत के बाद भी भाजपा ने अपने एक बाहुबली सांसद बृजभूषण सिंह को आज तक पार्टी से निलंबित भी नहीं किया है, उनको कोई नोटिस भी नहीं दिया है। महीनों तक ये लड़कियां सडक़ों पर प्रदर्शन करती रहीं, भाजपा के समर्थक सोशल मीडिया पर इन लड़कियों पर बदचलनी के साथ-साथ साजिश जैसी तोहमतें लगाते रहे, इनको देशद्रोही करार दिया गया, और कांग्रेस का हथियार बताया गया, लेकिन भाजपा ने अपने इस सांसद को छुआ भी नहीं। मतलब यह कि उसकी मिसाल अपने बाकी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के लिए साफ थी कि अगर कोई पार्टी में बहुत बड़ा ताकतवर है तो फिर चाहे सुप्रीम कोर्ट ही उसके कुकर्मों पर पुलिस रिपोर्ट लिखने क्यों न कहे, पार्टी उस पर कुछ नहीं कहेगी। और ऐसी मिसाल के बाद अगर मध्यप्रदेश या दूसरे प्रदेश अपने बलात्कारियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, तो वह किसी तरह से भी पार्टी अनुशासन के खिलाफ नहीं है।

न सिर्फ राजनीतिक दल, बल्कि सरकारें और पुलिस जैसे महकमे भी एक-दूसरे को देखकर सबक लेते रहते हैं, और ऐसा सबक ईमानदार और कड़ी कार्रवाई के लिए तो कम ही लिया जाता है, आमतौर पर कुकर्मों के लिए अधिक लिया जाता है। यही वजह है कि गरीब लडक़ी खुदकुशी कर रही है, उसका पिता खुदकुशी कर रहा है, पुलिस कार्रवाई न होने की वजह से दो जिंदगियां बेबसी में खत्म हो रही हैं, और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रियों के साथ, सपत्नीक पूल लंच या डिनर कर रहे हैं, ऐसा सरकारी वीडियो विदिशा के इस परिवार की मौतों की दशगात्र या तेरहवीं का पूल-भोज लग रहा है।

अभी दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगरानी की वजह से, बहुत ही अनमने होने के बावजूद निचली अदालत में भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दायर चार्जशीट में लिखा है कि अब तक की जांच के आधार पर बृजभूषण पर यौन उत्पीडऩ, छेड़छाड़, और पीछा करने के अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है, और दंडित किया जा सकता है। इन धाराओं के तहत अपराध सिद्ध होने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है। पुलिस ने जिन गवाहों से बात की है, उनमें से पन्द्रह ने पहलवान लड़कियों के आरोपों को सही बताया है। इस भाजपा सांसद पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में जा चुकीं महिला पहलवानों के यौन उत्पीडऩ के पन्द्रह आरोप लगे हैं।

देखना यह है कि भाजपा अब भी अपने इस सांसद के खिलाफ पार्टी की कोई कार्रवाई करती है या नहीं? ऐसा बताया जाता है कि यह सांसद अपने इलाके में कई सीटों पर भाजपा का भविष्य प्रभावित करने की ताकत रखता है, और इसीलिए पार्टी उसे छू नहीं रही है। इसके पहले भी वह बहुत बड़े-बड़े आरोपों में फंसे रहा, और यह साफ करना बेहतर होगा कि इसके पहले वह समाजवादी पार्टी से भी सांसद बन चुका है। उसके खिलाफ बड़े-बड़े जुर्मों के 38 मामले दर्ज हैं और एक वीडियो इंटरव्यू में उसने खुद यह मंजूर किया था कि वह पहले एक कत्ल कर चुका है। उसने कैमरे के सामने कहा था कि उसने अपने एक दोस्त के हत्यारे की हत्या की थी। देश के राजनीतिक दलों में चुनाव जीतने की संभावना रखने वाले तमाम मवालियों के लिए अपार मोहब्बत पैदा हो जाती है। बहुत कम राजनीतिक दल ऐसे होंगे जिन्हें जीतने की संभावना वाले हत्यारों और बलात्कारियों से परहेज हो, अगर उनके मामले उन्हें चुनाव आयोग के नियमों में अपात्र न बनाते हैं।

हमारा ख्याल है कि देश भर के इंसानों को हर उस पार्टी का जमकर विरोध करना चाहिए जो कि हत्या और बलात्कार जैसे, यौन शोषण और अपहरण जैसे जुर्म में फंसे दिख रहे लोगों को उम्मीदवार बना रही हैं। ऐसी पार्टियों से सार्वजनिक सवाल होने चाहिए, उन्हें सार्वजनिक रूप से धिक्कारना चाहिए, और अगर उन्हीं की सरकारों के मातहत ऐसा हो रहा है, और कार्रवाई नहीं हो रही है, तो सोशल मीडिया पर भी उनके खिलाफ जमकर लिखा जाना चाहिए। ऐसी पार्टियां जहां-जहां सरकार बनाएंगी, वहां-वहां अपने बलात्कारियों को इसी तरह बचाएंगी, ऐसी पार्टियां चाहे वे कोई भी हों, उन्हें पूरी तरह खारिज करना चाहिए, तभी लोगों की बहन-बेटियां हिफाजत से रह सकेंगी। बृजभूषण शरण सिंह का मामला यह बताता है कि कोई पार्टी किस हद तक बेशर्म हो सकती है, और किस हद तक अपने पसंदीदा मुजरिम के साथ खड़े रह सकती है।
-सुनील कुमार

अपने चहेते बलात्कारियों
के साथ खड़ी पार्टियों को
खारिज करने की जरूरत

मध्यप्रदेश में अभी छेडख़ानी से तंग एक लडक़ी ने खुदकुशी की, और उसके बाद पुलिस कार्रवाई न होने से निराश उसके पिता ने खुदकुशी की। अब उस लडक़ी की रोती हुई मां छेडऩे वालों के घर पर बुलडोजर चलाने की मांग कर रही है। यह नौबत मध्यप्रदेश में ही नहीं है, बल्कि कई दूसरे प्रदेशों में भी है। कॉलेज में पढऩे वाली छात्रा, रक्षा गोस्वामी ने गांव के लोगों की छेडख़ानी से थककर आत्महत्या कर ली थी, और उसने सुसाइड नोट में छह लोगों के नाम भी लिखे थे। पुलिस ने इनमें से सिर्फ एक को गिरफ्तार किया था, और जमानत पर छूटने के बाद वह आरोपी खुदकुशी वाली लडक़ी के पिता को धमका रहा था। डरे हुए पिता ने भी आत्महत्या कर ली, और जब उसकी लाश सडक़ पर रखकर लोगों ने चक्काजाम किया, तब कहीं जाकर पुलिस ने सुसाइड नोट में लिखे नामों पर जुर्म दर्ज किया। परिवार का झोपड़े से भी गया-बीता छोटा सा घर जर्जर हो चुका है। और मध्यप्रदेश के सर्वाधिक बड़बोले गृहमंत्री अब जाकर कुछ पुलिसवालों को निलंबित कर रहे हैं, किसी बड़े अफसर को जांच की जिम्मेदारी दे रहे हैं।

मध्यप्रदेश के बारे में यह समझने की जरूरत है कि वहां इस किस्म की अराजक घटनाएं लगातार हो रही हैं, और अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए मुख्यमंत्री निवास पर बुलाकर पांव धोने को इस परिवार की अकेली रह गई महिला एकदम सही व्यक्ति होगी जिसे वे मां या ताई जो चाहे कहें, चाहें तो बहन कहें, और चाहें तो मरने वाली लडक़ी को भांजी कहें। मुख्यमंत्री निवास पर एक बड़े हॉल में कई परातें सजा देनी चाहिए जहां वे बारी-बारी से लोगों के पैर धोते रहें। एक सरकार जिसे कि कानून का राज लागू करना चाहिए, वह कहीं किसी फिल्मी सितारे के पीछे बावलों की तरह पड़ी रहती थी, तो कहीं किसी लेखक या व्यंग्यकार को एफआईआर की धमकी देती रहती थी, तब तक जब तक कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सार्वजनिक रूप से अपने एक प्रदेश के गृहमंत्री की ऐसी हरकतों पर नाखुशी जाहिर नहीं कर दी थी।

खैर, कोई पार्टी अगर अपने ही मुख्यमंत्री, बाकी मंत्रियों से बेहतर कामकाज की उम्मीद करती है, तो उसे खुद भी कुछ मिसालें पेश करनी पड़ती हैं। आज तो देश में एक मिसाल बड़ी साफ-साफ है कि ओलंपिक से गोल्ड मैडल लेकर आने वाली पहलवान लड़कियों की छेडख़ानी और यौन शोषण की दर्जनों घटनाओं की शिकायत के बाद भी भाजपा ने अपने एक बाहुबली सांसद बृजभूषण सिंह को आज तक पार्टी से निलंबित भी नहीं किया है, उनको कोई नोटिस भी नहीं दिया है। महीनों तक ये लड़कियां सडक़ों पर प्रदर्शन करती रहीं, भाजपा के समर्थक सोशल मीडिया पर इन लड़कियों पर बदचलनी के साथ-साथ साजिश जैसी तोहमतें लगाते रहे, इनको देशद्रोही करार दिया गया, और कांग्रेस का हथियार बताया गया, लेकिन भाजपा ने अपने इस सांसद को छुआ भी नहीं। मतलब यह कि उसकी मिसाल अपने बाकी मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के लिए साफ थी कि अगर कोई पार्टी में बहुत बड़ा ताकतवर है तो फिर चाहे सुप्रीम कोर्ट ही उसके कुकर्मों पर पुलिस रिपोर्ट लिखने क्यों न कहे, पार्टी उस पर कुछ नहीं कहेगी। और ऐसी मिसाल के बाद अगर मध्यप्रदेश या दूसरे प्रदेश अपने बलात्कारियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, तो वह किसी तरह से भी पार्टी अनुशासन के खिलाफ नहीं है।

न सिर्फ राजनीतिक दल, बल्कि सरकारें और पुलिस जैसे महकमे भी एक-दूसरे को देखकर सबक लेते रहते हैं, और ऐसा सबक ईमानदार और कड़ी कार्रवाई के लिए तो कम ही लिया जाता है, आमतौर पर कुकर्मों के लिए अधिक लिया जाता है। यही वजह है कि गरीब लडक़ी खुदकुशी कर रही है, उसका पिता खुदकुशी कर रहा है, पुलिस कार्रवाई न होने की वजह से दो जिंदगियां बेबसी में खत्म हो रही हैं, और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रियों के साथ, सपत्नीक पूल लंच या डिनर कर रहे हैं, ऐसा सरकारी वीडियो विदिशा के इस परिवार की मौतों की दशगात्र या तेरहवीं का पूल-भोज लग रहा है।

अभी दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगरानी की वजह से, बहुत ही अनमने होने के बावजूद निचली अदालत में भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दायर चार्जशीट में लिखा है कि अब तक की जांच के आधार पर बृजभूषण पर यौन उत्पीडऩ, छेड़छाड़, और पीछा करने के अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है, और दंडित किया जा सकता है। इन धाराओं के तहत अपराध सिद्ध होने पर पांच साल तक की जेल हो सकती है। पुलिस ने जिन गवाहों से बात की है, उनमें से पन्द्रह ने पहलवान लड़कियों के आरोपों को सही बताया है। इस भाजपा सांसद पर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में जा चुकीं महिला पहलवानों के यौन उत्पीडऩ के पन्द्रह आरोप लगे हैं।

देखना यह है कि भाजपा अब भी अपने इस सांसद के खिलाफ पार्टी की कोई कार्रवाई करती है या नहीं? ऐसा बताया जाता है कि यह सांसद अपने इलाके में कई सीटों पर भाजपा का भविष्य प्रभावित करने की ताकत रखता है, और इसीलिए पार्टी उसे छू नहीं रही है। इसके पहले भी वह बहुत बड़े-बड़े आरोपों में फंसे रहा, और यह साफ करना बेहतर होगा कि इसके पहले वह समाजवादी पार्टी से भी सांसद बन चुका है। उसके खिलाफ बड़े-बड़े जुर्मों के 38 मामले दर्ज हैं और एक वीडियो इंटरव्यू में उसने खुद यह मंजूर किया था कि वह पहले एक कत्ल कर चुका है। उसने कैमरे के सामने कहा था कि उसने अपने एक दोस्त के हत्यारे की हत्या की थी। देश के राजनीतिक दलों में चुनाव जीतने की संभावना रखने वाले तमाम मवालियों के लिए अपार मोहब्बत पैदा हो जाती है। बहुत कम राजनीतिक दल ऐसे होंगे जिन्हें जीतने की संभावना वाले हत्यारों और बलात्कारियों से परहेज हो, अगर उनके मामले उन्हें चुनाव आयोग के नियमों में अपात्र न बनाते हैं।

हमारा ख्याल है कि देश भर के इंसानों को हर उस पार्टी का जमकर विरोध करना चाहिए जो कि हत्या और बलात्कार जैसे, यौन शोषण और अपहरण जैसे जुर्म में फंसे दिख रहे लोगों को उम्मीदवार बना रही हैं। ऐसी पार्टियों से सार्वजनिक सवाल होने चाहिए, उन्हें सार्वजनिक रूप से धिक्कारना चाहिए, और अगर उन्हीं की सरकारों के मातहत ऐसा हो रहा है, और कार्रवाई नहीं हो रही है, तो सोशल मीडिया पर भी उनके खिलाफ जमकर लिखा जाना चाहिए। ऐसी पार्टियां जहां-जहां सरकार बनाएंगी, वहां-वहां अपने बलात्कारियों को इसी तरह बचाएंगी, ऐसी पार्टियां चाहे वे कोई भी हों, उन्हें पूरी तरह खारिज करना चाहिए, तभी लोगों की बहन-बेटियां हिफाजत से रह सकेंगी। बृजभूषण शरण सिंह का मामला यह बताता है कि कोई पार्टी किस हद तक बेशर्म हो सकती है, और किस हद तक अपने पसंदीदा मुजरिम के साथ खड़े रह सकती है।

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