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कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आस्ट्रेलिया दौरा कई वजहों से चर्चा में बना हुआ है। भाजपा के प्रचार तंत्र ने हमेशा शनरेंद्र मोदी के हर दौरे को ऐतिहासिक साबित करने की कोशिश की है। इसी कड़ी में आस्ट्रेलिया में जब प्रधानमंत्री मोदी पहुंचे तो सिडनी में एक भव्य कार्यक्रम हुआ, जिसमें आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने मोदी का स्वागत करते हुए उनकी तुलना प्रसिद्ध रॉकस्टार ब्रूस स्प्रिंगस्टीन से की और उन्हें ‘द बॉस’ कहा। श्री मोदी के प्रशंसकों का इस बात पर गदगद होना स्वाभाविक है कि आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भी उन्हें अपना बॉस माना है। लेकिन इस खुशी में इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि इसी आस्ट्रेलिया में अब बीबीसी की उस डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन भी हुआ, जिस पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया है, क्योंकि इसमें सवाल सीधे नरेन्द्र मोदी पर उठाए गए हैं। द टेलीग्राफ के मुताबिक बुधवार शाम को इस स्क्रीनिंग का आयोजन प्रवासी संगठनों के समूह द्वारा किया गया है। जिनका कहना है कि मोदी सरकार भारत में भारतीय संविधान को रौंद रही है। हम बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के जरिए लोगों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इस स्क्रीनिंग का आस्ट्रेलिया की सरकार से कोई लेना-देना नहीं है, इसमें एमनेस्टी, हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स ऑस्ट्रेलिया, पेरियार-अंबेडकर थॉट सर्कल-ऑस्ट्रेलिया, मानवतावाद परियोजना और संस्कृति-केंद्रित अनुसंधान और मूल्यांकन केंद्र शामिल हैं। स्क्रीनिंग का वक्त भी ऐसा है, जब श्री मोदी आस्ट्रेलिया का दौरा संपन्न कर चुके हैं, लेकिन अगर द बॉस वाली भावना का व्यापक असर होता, तो बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन भी संभव नहीं होता। वैसे श्री मोदी के प्रशंसकों के लिए खुश होने की वजह द बॉस वाली टिप्पणी ही नहीं है, सिडनी के कार्यक्रम में दोनों प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में सिडनी उपनगर का नाम बदलकर ‘लिटिल इंडिया’ कर दिया। भाजपा इसे भी श्री मोदी के बढ़ते प्रभाव का नतीजा साबित करने में लगी है। हालांकि भाजपा को इस तथ्य पर गौर करना चाहिए कि दुनिया के कई देशों में चाइना टाउन बड़े शहरों में मिल ही जाएंगे। क्या इसको चीन का प्रभाव माना जाएगा।

सिडनी के कार्यक्रम में मौजूदा दर्शकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के पास सामर्थ्य की कमी नहीं है, भारत के पास संसाधनों की कमी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे युवा टैलेंट फैक्ट्री, जिस देश में है, वो भारत है। अच्छा है कि श्री मोदी अब भारत की ताकत और सामर्थ्य की बात करने लगे हैं। अन्यथा कुछ साल पहले तक वे भारत में जन्म लेने को शर्मिंदगी का विषय बताते थे। श्री मोदी 9 सालों से देश के प्रधानमंत्री हैं और भाजपा की सरकार भी अभी 9 सालों से लगातार हैं। 9 साल पहले जन्म लेने वाला बच्चा अभी युवा की श्रेणी में तो आया नहीं है, इसलिए मोदीजी अगर आज के भारतीय युवाओं को प्रतिभाशाली मानते हैं, तो इसका मतलब यही हुआ कि वे वर्ष 2000 या इसके आसपास पैदा होने वाले बच्चों की बात कर रहे हैं और इन प्रतिभाओं को पनपने का अवसर यूपीए सरकार में मिला। तो अब नरेन्द्र मोदी को कम से कम यह दोष पहले की सरकार पर नहीं मढ़ना चाहिए कि उन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री इन प्रतिभाशाली युवाओं के बूते देश को सबसे बड़ी युवा टैलेंट फैक्ट्री कह रहे हैं। ऐसा वे संभवत: गौरवबोध से कह रहे हों, लेकिन फैक्ट्री शब्द अपने आप में अमानवीय लगता है। युवाओं में कौशल है, तो उसे निखरने का मौका मिलना चाहिए और हर तरह की प्रतिभा को बढ़ने के एक समान अवसर मिलने चाहिए। हर युवा डॉक्टर या इंजीनियर या अफसर नहीं बन सकता, कोई गायक बनता है, कोई चित्रकार, कोई लेखक। इन प्रतिभाओं को बढ़ने का मौका और रोजगार मिलेगा, तो कुंठाओं के लिए स्थान नहीं रहेगा। फैक्ट्री की तरह अगर एक जैसे उत्पाद तैयार करने की जगह देश को बना दिया जाए, तो फिर कुंठा और अवसाद का कचरा भी इस फैक्ट्री से निकलेगा। इस अवसाद को समाजविरोधी तत्व अपने हितसाधन के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

धर्म की आड़ में नैतिक पुलिस की भूमिका में आना या धार्मिक यात्राओं के नाम सड़कों पर उत्पात मचाने का काम ऐसे कुंठाग्रस्त युवाओं को करते देखा जा सकता है। कहीं गोमांस की तस्करी के नाम पर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है, कहीं उनके धार्मिक स्थलों पर जबरन भगवा फहराया जाता है। मोदी सरकार में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। इस बात पर अमेरिका की सालाना रिपोर्ट में भी चिंता जाहिर की गई है। पिछले हफ्ते ब्रिटेन से आई एक रिपोर्ट में भी यह कहा गया कि लेस्टर में पिछली गर्मियों में जो धार्मिक तनाव बना था, उसमें भाजपा के करीबी लोगों ने उकसाने का काम किया। यानी भाजपा पर अल्पसंख्यकों के हितों और अधिकारों की रक्षा पर सवाल उठ रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी ने इस बीच आस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री अल्बनीज के सामने मंदिरों पर हमलों की हालिया घटनाओं और उस देश में खालिस्तानी तत्वों की गतिविधियों को लेकर भारत की चिंताओं को सामने रखा। श्री मोदी ने बताया कि वे पहले भी इन चिंताओं पर बात कर चुके हैं। उन्होंने ऐसी घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अल्बनीज को धन्यवाद दिया, साथ ही बताया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर कार्रवाई का आश्वासन प्रधानमंत्री अल्बनीज ने दिया है। हिंदुस्तान के लिए यह आश्वासन राहत की बात है। सरकार को देश के नागरिकों के साथ-साथ प्रवासी नागरिकों के हितों का ख्याल भी रखना होता है। जो आश्वासन आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने श्री मोदी को दिया है, वही देश के अल्पसंख्यकों को भी भाजपा सरकार से मिलना चाहिए। आश्वस्ति का ऐसा माहौल बनना चाहिए कि कोई खुले में नमाज पढ़े तो उस पर विवाद न हो, कोई मृत पशुओं को ले जाए, तो उसे प्रताड़ित होने का खौफ न हो और अपने देश में देशभक्ति का सबूत दिए बगैर अल्पसंख्यक सम्मान के साथ रहें। क्या अल्बनीज के द बॉस ऐसा कर पाएंगे?

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