Latest Post

कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

-सुनील कुमार॥

अभी बलात्कार के आरोप का एक ऐसा मामला सामने आया है जो बहुत से उलझे हुए सवाल खड़े करता है। यह जांच एजेंसी पुलिस और अदालत के सामने तो एक जटिल मुद्दा रहेगा ही, यह अखबारों के लिए भी एक मुश्किल मामला है कि इसकी खबर कैसे बनाई जाए। क्या दो पक्षों की तरफ से पुलिस में लिखाई गई रिपोर्ट के तथ्यों को ज्यों का त्यों ले लिया जाए, या फिर अपनी अक्ल का भी इस्तेमाल किया जाए? रिपोर्टिंग करते हुए आमतौर पर यह बात आसान रहती है कि बिना जज बने हुए पुलिस या अदालत में दर्ज तथ्यों को ज्यों का त्यों पाठकों के सामने रख दिया जाए, लेकिन क्या इस तरह का मशीनी बर्ताव पाठकों या दर्शकों को सचमुच का सच बता पाता है? यह सवाल आसान नहीं है क्योंकि दर्ज तथ्यों का अधिक विश्लेषण करना, और फिर सोच-समझकर तथ्यों को सामने रखना एक किस्म से अदालत के पहले मीडिया की अदालत में, या रिपोर्टर की समझ में इंसाफ करने जैसा काम हो जाता है। कल से ऐसा ही एक मामला परेशान कर रहा है।
हम जानबूझकर इसमें हिन्दुस्तान के इस प्रदेश और उसके शहर का नाम नहीं दे रहे हैं क्योंकि यह मामला कहीं भी हो सकता है। एक गरीब परिवार की नाबालिग लडक़ी पुलिस को रोती-बिलखती मिली, और उससे पता लगा कि पिछले कुछ बरस से दूसरे धर्म का एक लडक़ा उससे प्यार की बातें करते हुए देह-संबंध बना रहा था। यह सिलसिला लगातार चलते रहा। जब यह लडक़ी मारपीट झेलकर पुलिस को मिली तो पुलिस ने इस लडक़े को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद लडक़े के परिवार के दस बरस के बच्चे की ओर से पुलिस में रिपोर्ट लिखाई गई कि बलात्कार की रिपोर्ट लिखाने वाली लडक़ी की विधवा मां उस बच्चे को लालच देकर अपने घर ले गई, और उसके निजी अंगों से छेडख़ानी की। इस रिपोर्ट के आधार पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज करके इस महिला को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया, और जेल भेज दिया गया। बलात्कार की रिपोर्ट लिखाने वाली नाबालिग लडक़ी का कहना है कि पुलिस बलात्कारी के साथ मिलकर समझौता करने, और शिकायत वापिस लेने के लिए धमका रही थी, पैसों का लालच दिया जा रहा था, और जब यह गरीब परिवार उसके लिए तैयार नहीं हुआ, तो उसकी मां के खिलाफ ऐसी रिपोर्ट लिखाकर उसे आनन-फानन गिरफ्तार करवाया गया। बलात्कार की शिकार लडक़ी हिन्दू है, और आरोपी गिरफ्तार युवक मुस्लिम है, और उसके परिवार के छोटे बच्चे की तरफ से हिन्दू लडक़ी की मां के खिलाफ यौन शोषण की रिपोर्ट दर्ज कराई गई है जिस पर गिरफ्तारी हुई है। इस मामले में एक और पेंच यह भी है कि मुस्लिम युवक को भाजपा से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। अब कुछ हिन्दू संगठन इस मामले को लेकर पहली रिपोर्ट करने वाली लडक़ी के पक्ष में खड़े हो रहे हैं, आंदोलन की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ पहली रिपोर्ट पर गिरफ्तार मुस्लिम युवक भाजपा से जुड़ा होने के बाद भी भाजपा की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
अब सोचने की कई बातें उठती हैं। एक गरीब परिवार की लडक़ी जो कि विधवा मां के साथ रह रही है, वह बलात्कार की रिपोर्ट लिखाती है, और लडक़े की गिरफ्तारी के बाद उसके परिवार का एक बच्चा इस विधवा महिला के खिलाफ यौन शोषण की रिपोर्ट लिखाता है, और पुलिस उस महिला को भी तुरंत गिरफ्तार कर लेती है। बिना किसी की नीयत पर शक किए हुए पहली नजर में देखा जाए तो ऐसा लगता है कि पहली रिपोर्ट के मुकाबले यह दूसरी रिपोर्ट हुई है, और इन दोनों के बीच पुलिस पर यह आरोप भी लगा है कि वह दबाव डालकर लडक़ी से शिकायत वापिस करवाने की कोशिश कर रही थी। अब इस मामले में पुलिस चाहे जैसा मामला बनाए, अदालत जिसे चाहे उसे गुनहगार ठहराए, लेकिन हमारे सामने एक दुविधा और दिक्कत यह है कि इस पूरे मामले की रिपोर्ट कैसे की जाए? अखबार में तथ्यों को बिना जज बने हुए कैसे रखा जाए? इतनी दुविधा कम मामलों में सामने आती है। देश के कुछ हिस्सों में ऐसा जरूर हुआ है कि एक परिवार की बलात्कार की रिपोर्ट के मुकाबले दूसरे परिवार की महिलाओं ने भी बलात्कार की रिपोर्ट लिखा दी। लेकिन एक छोटे बच्चे की तरफ से ऐसी शिकायत का यह मामला बड़ा अजीब है। न तो हम उस लडक़ी की नीयत पर कोई शक कर रहे, न ही इस बच्चे की नीयत पर, लेकिन यह इतना नाजुक मामला हो गया है कि पुलिस को अपनी साख बचाने के लिए, और इंसाफ के लिए भी ईमानदारी और संवेदनशीलता से इसकी जांच करनी चाहिए।

Facebook Comments Box

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *