Latest Post

कांग्रेस ‘कमल छाप नस्ल’ से निज़ात पाए.. मोदी की महाविजय, महिला मतदाता नायिका ?

शनिवार को रूस में तख्तापलट की आशंकाएं तेज हो गई थीं, जब खबर आई कि वैगनर समूह के सैनिकों ने रूस के खिलाफ विद्रोह कर दिया है और सेना मास्को की ओर बढ़ रही है। वैगनर भाड़े के लड़ाकों की निजी सेना है, जो पैसों के लिए किसी की ओर से लड़ती है। अभी यूक्रेन युद्ध में यह सेना रूस का साथ दे रही है। इसके अलावा अफ्रीका में कई जगह वैगनर सेना काम करती है।

पिछले कुछ समय से यूक्रेन में युद्ध को लड़ने के तरीके को लेकर वैगनर समूह और रूस की सेना के बीच तनाव बढ़ रहा था। वैगनर के मुखिया येवगेनी प्रिगोज़िन ने रूस के सैन्य नेतृत्व की खुली आलोचना की थी। इस शनिवार को मास्को तब सकते में आ गया, जब खबर आई कि वैगनर सैनिकों ने रस्तोव ऑन दोन शहर पहुंच कर रूस की सेना के दक्षिणी कमांड मुख्यालय पर क़ब्ज़ा कर लिया है। इसके बाद भाड़े के सैनिक मास्को के करीब वरोनेझ़ शहर पहुंच गए और वहां भी कब्जा कर लिया। इस घटना के साथ ही खबर आने लगी कि अब रूस में तख्तापलट हो जाएगा। कई लोगों ने व्लादिमीर पुतिन के क्रेमलिन छोड़कर सुरक्षित स्थान पर चले जाने के कयास भी लगा लिए। मास्को के मेयर ने लोगों से घरों से न निकलने की अपील जारी की, चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के इंतजाम किए गए। इस बीच खबर ये भी आई कि चेचन्या से विशिष्ट सैन्य बल वैगनर लड़ाकों का मुकाबला करने के लिए रवाना कर दिए गए हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वैगनर समूह के इस दुस्साहस पर कहा कि रूस को धोखा देने वाले हर व्यक्ति को अंजाम भुगतने तैयार रहना होगा। लेकिन फिर घटनाक्रम तेजी से बदला और वैगनर लड़ाके अपने लाव-लश्कर के साथ मास्को से कदम पीछे बढ़ाने लगे। बेलारूस के राष्ट्रपति और पुतिन के मित्र अलेक्सांद्र लुकाशेंको ने इस संकट को टालने में संकट मोचक की भूमिका निभाई। खबरों के मुताबिक प्रिगोजिन और लुकाशेंको के बीच लंबी बातचीत हुई, जिसके बाद प्रिगोज़िन ने एक बयान जारी कर कहा कि वो ख़ून-ख़राबा रोकने के लिए पीछे हट रहे हैं। इसके बाद पुतिन के प्रेस सचिव दिमित्री पेस्कोव ने बताया कि येवगेनी प्रिगोज़िन के गिरफ़्तारी वॉरंट को रद्द कर दिया गया है और उनके और वागनर समूह के लड़ाकों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले बंद कर दिए जाएंगे।

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक रूस पर छाया तख्तापलट का खतरा चंद घंटों की दहशत के बाद ही टल गया। लेकिन अपने पीछे कुछ जरूरी सवाल छोड़ गया है। जैसे लुकाशेंकों और प्रिगोजिन के बीच आखिर किस तरह की सौदेबाजी हुई कि वैगनर सैनिकों को मास्को पहुंचने से पहले वापस करवा दिया गया। इस घटना का असली मकसद वाकई पुतिन की सत्ता को उखाड़ फेंकना था या यह किसी किस्म की चालाकी थी ताकि पुतिन की ताकत और हिम्मत का अनुमान लगाया जा सके। दुनिया में पहले भी कई देशों में तख्तापलट हुए हैं, रूस भी इसका भुक्तभोगी रहा है। मगर सैन्य ताकतें या विद्रोही समूह तख्तापलट कर अपनी सत्ता जमाते हैं। भाड़े के सैनिकों के साथ क्या सत्ता हथियाई जा सकती है। जो सैनिक पैसे लेकर लड़ाई लड़ते हैं, जाहिर है उनके लिए किसी विचारधारा या पंथ का कोई अर्थ नहीं है, फिर इन सैनिकों का इस्तेमाल ही तख्तापलट के लिए क्यों किया गया। और सबसे अहम सवाल ये है कि क्या रूस की ओर वैगनर सैनिकों को रवाना करने के पीछे वाकई प्रिगोजिन की नाराजगी थी या इसमें अमेरिका और नाटो समूह के देशों का हाथ है।

याद रखने की बात है कि व्लादिमीर पुतिन दो दशक से अधिक वक्त से रूस पर शासन कर रहे हैं। कभी राष्ट्रपति बनकर, कभी प्रधानमंत्री बनकर उन्होंने सत्ता की कमान हमेशा अपने पास रखी। बीते दो दशकों में दुनिया में बड़े राजनैतिक, आर्थिक बदलाव हुए, देशों के बीच आपसी समीकरण भी बदले, लेकिन रूस और अमेरिका के बीच तनाव का रिश्ता नहीं बदला। अमेरिका भले खुद को अब दुनिया की एकमात्र महाशक्ति समझता है, लेकिन सच यही है कि रूस उसके आधिपत्य को लगातार चुनौती देता है और अब तो चीन भी अमेरिका के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है। रूस और चीन कई मोर्चों पर एक साथ हैं और अमेरिका को ये बात खूब खटकती है।

यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के बहाने से अमेरिका और यूरोप के कई देशों ने रूस की सीमा तक अपनी पहुंच बनाने की चाल चल दी थी, लेकिन रूस ने यहां भी उनकी चाल विफल कर दी। पिछले 16 महीनों से रूस और यक्रेन में जंग छिड़ी है, जिसका कोई अंजाम सामने नहीं आ रहा, क्योंकि यूक्रेन को अमेरिका और उसे मित्र देशों से बराबर मदद पहुंच रही है। इस युद्ध के कारण व्लादिमीर पुतिन की छवि को दुनिया में खूब खराब किया गया। इसके अलावा पुतिन के कमजोर पड़ने की खबरें भी कई बार आईं। कभी पुतिन को बीमार बताया गया, कभी क्रेमलिन पर ड्रोन हमले का डर दिखाया गया।

इसी कड़ी में अब वैगनर विद्रोहियों के आगे पुतिन को लाचार बताया जा रहा है। वैगनर लड़ाके अगर मास्को तक पहुंच जाते, तो यूके्रन में उलझे पुतिन के लिए वाकई जीवन-मरण का संकट आ सकता था। वैगनर समूह के पास सैन्य शक्ति के अलावा इंटरनेट हैकिंग क्षमता भी है। पश्चिमी देशों के खुफिया तंत्र के साथ उसके संपर्क हैं। रूस के नव धनाढ्य तबके के साथ वैगनर सरगना प्रिगोजिन के संपर्क बताए जाते हैं। यानी इस समूह के पास पर्याप्त संसाधन हैं और ये बेहद गंभीर सवाल है कि आखिर भाड़े के सैनिकों को पालने और उन्हें तमाम साजो-सामान के साथ सुसज्जित करने का खर्च कौन सी ताकतें उठाती हैं। क्या ये ताकतें ही पुतिन को कमजोर होने का अहसास कराना चाहती थीं या इस एक घटना से पुतिन को किसी किस्म की चेतावनी दी गई है।

बहरहाल, रूस की इस घटना ने दुनिया भर के देशों के लिए चेतावनी दे दी है कि धन की शक्ति के बूते सत्ता पलटने के कैसे घिनौने षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। इसलिए लोकतंत्र की मजबूती और पूंजीवाद पर अंकुश जरूरी है।

Facebook Comments Box

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *